कुल पेज दृश्य

geedh लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
geedh लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 9 जनवरी 2014

kavita: geedh -sanjiv

काव्य सलिला:
गीध
संजीव
*
जब स्वार्थ-साधन,
लोभ-लालच,
सत्ता और सुविधा तक
सीमित रह जाए
नाक की सीध
तब समझ लो आदमी
इंसान नहीं रह गया
बन गया है गीध.

***

शुक्रवार, 10 मई 2013

hindi poem, geedh, acharya sanjiv verma 'salil'


एक कविता:
गीध 
संजीव 
*
जब 
स्वार्थ-साधन,
लोभ-लालच,
सत्ता और सुविधा तक 
सीमित रह जाए 
नाक की सीध, 
तब 
समझ लो आदमी 
इंसान नहीं रह गया 
बन गया है गीध।
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in