कुल पेज दृश्य

नवगीत जन चाहता रौद्रक छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नवगीत जन चाहता रौद्रक छंद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

नवगीत जन चाहता

नवगीत:
संजीव
.
जन चाहता 
बदले मिज़ाज 
राजनीति का
.
भागे न
शावकों सा
लड़े आम आदमी
इन्साफ मिले
हो ना अब
गुलाम आदमी
तन माँगता
शुभ रहे काज
न्याय नीति का
.
नेता न
नायकों सा
रहे आम आदमी
तकलीफ
अपनी कह सके
तमाम आदमी
मन चाहता
फिसले न ताज
लोकनीति का
(रौद्राक छंद)
*