ॐ
भारत गीत
- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
'मैं अंधकार को जीत
उजाला पाने में रत हूँ,
मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।'
*
सभ्यता सनातन मैं जानो
हूँ कल्प-कल्प से सच मानो
मैं पंचतत्व, मैं तीन लोक
मैं तीन देव हूँ सम्मानो
मैं ही गत, अब हूँ, आगत हूँ
मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।
*
जीवनदायिनी भारतमाता
मैं ही जनगण-मन विख्याता
हूँ वंदे मातरम् मैं अनुपम
मैं झंडा ऊँचा जग त्राता
मैं मानवता का स्वागत हूँ
मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।
*
मैं कंकरवासी शंकर हूँ
है चित्र गुप्त अभ्यंकर हूँ
हूँ शक्ति-शांति-निर्माण पथिक
मैं ही ओढ़े दिक् अंबर हूँ
मैं गीतागायक जागत हूँ
मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।
*
एक रचना
*
'निर्मल शुक्ल'
न रही चाँदनी
'श्याम गुप्त' है चाँद
*
रोजगार बिन
लौट रहे 'कुलदीप'
विवश निज गाँव।
'मधुकर' द्रुत गति
आकर कुचले
देह, छीन ले ठाँव।
'संध्या सिंह'
लॉकडाउन में
भूखा, सिसके माँद
*
छप्पन इंची
छाती ठोंके सूरज
मन की बात।
'शांत' - घरों-घर
राशन-रुपया
बँटा 'मावसी रात।
अरथी निकली
सत्य व्रतों की
श्वास वनों को फाँद
*
फिर 'नीरव' को
कर्ज दिलाने
हैं 'मनोज' बेचैन।
चारण पत्रकार
चुप नत शिर
'अमरनाथ' बेचैन।
हुआ असहमत
जो 'नरेंद्र' से
वही भरेगा डाँड
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 3 जून 2021
भारत गीत
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