कुल पेज दृश्य

devi nagrani लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
devi nagrani लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 29 अप्रैल 2017

hindi-sindhi salila

 [आमने-सामने, हिंदी-सिन्धी काव्य संग्रह, संपादन व अनुवाद देवी नागरानी
शिलालेख, ४/३२ सुभाष गली, विश्वास नगर, शाहदरा दिल्ली ११००३२. पृष्ठ १२६, २५०/-]
पृष्ठ ८४-८५















१. शब्द सिपाही १. लफ्ज़न जो सिपाही
* *
मैं हूँ अदना माँ आहियाँ अदनो
शब्द सिपाही. लफ्ज़न जो सिपाही.
अर्थ सहित दें अर्थ साणु डियन
शब्द गवाही. लफ्ज़ गवाही.
* *
२. सियासत २. सियासत
तुम्हारा हर तुंहिंजो हर हिकु सचु
सच गलत है. गलत आहे.
हमारा हर मुंहिंजो
सच गलत है हर हिकु सचु गलत आहे
यही है इहाई आहे
अब की सियासत अजु जी सियासत
दोस्त ही दोस्त ई
करते अदावत कन दुश्मनी
* *

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

2 kshanikayen: sindhi anuwad sahit

9-1-2015 क्षणिका, संजीव, देवी नागरानी, सिंधी, काव्यानुवाद,

मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

kavita: narendra modi

श्री नरेंद्र मोदी की गुजराती कविता का हिंदी अनुवाद:
अंजना संधीर एल १०४ शिलालेख सोसायटी, शाहीबाग अहमदाबाद ३८०००४ द्वारा
.
जाना नहीं
यह सूर्य मुझे पसंद है
अपने सातों घोड़ों की लगाम
हाथ में रखता है
लेकिन उसने कभी भी घोड़ों को
चाबुक मारा हो
ऐसा जानने में नहीं आया
इसके बावजूद
सूर्य की मति
सूर्य की गति
सूर्य की दिशा
सब एकदम बरकरार
केवल प्रेम
*
सिंधी अनुवाद: देवी नागरानी ९ डी कॉर्नर व्यू सोसायटी, १५/३३ रोड बांद्रा मुंबई ४०००५० चलभाष ९९८७९२८३५८ द्वारा
न जातो
ही सिजु मूंखे पसंद आहे
पंहिंजन सतन ई घोड़न जी लगाम
हाथ में रखंदो आहे
पर हुन कडहिं बि घोड़े खे
चाबुक मारियो हो
ईंअ जाणण में कीन आयो
इनजे बावजूद 
सिज जी मति
सिज जी गति
सिज जी दिशा
सब हिक दम बरकरार
फ़क़त प्रेम