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रविवार, 25 अगस्त 2024

अगस्त २५, नवगीत, पद, मुक्तक, रेल, सॉनेट

सलिल सृजन अगस्त २५
*
सॉनेट
*
रंगभूमि से जंगभूमि तक
मनमानी अरु मन की बातें
काम करे निष्ठा से जनगण
नेता जी करते हैं घातें
कुटिया का दिन अँधियारा है
संसद की रातें भी उजली
हर अफसर का पौ बारा है
धनपतियों की तबियत मचली
न्याय वही जो कुर्सी चाहे
लिए तराजू तौले अँधा
मन का कालापन वस्त्रों पर
बहस कुतर्कों का है धंधा
बेच-खरीदों जनप्रतिनिधियों को
जो न बिके वह खाए लातें
२५-८-२०२२
***
मुक्तक रेल के
प्रभु तो प्रभु है, ऊपर हो या नीचे हो।
नहीं रेल के प्रभु सा आँखें मीचे हो।।
निचली श्रेणी की करता कुछ फ़िक्र न हो-
ऊँची श्रेणी के हित लिए गलीचे हो।।
***
ट्रेन पटरी से उतरती जा रही।
यात्रियों को अंत तक पहुँचा रही।।
टिकिट थोड़ी यात्रा का था लिया-
पार भव से मुफ्त में करवा रही।।
***
आभार करिए रेलवे का रात-दिन।
काम चलता ही नहीं है ट्रेन बिन।।
करें पल-पल याद प्रभु को आप फिर-
समय काटें यार चलती श्वास गिन।।
***
जो चाहे भगवान् वही तो होता है।
दोष रेल मंत्री को क्यों जग देता है।।
चित्रगुप्त प्रभु दुर्घटना में मार रहे-
नाव आप तू कर्म नदी में खेता है।।
***
आय घटे, वेतन रुके तो हो हाहाकार।
बढ़े टिकिट दर तो हुई जनता ही बेज़ार।।
रिश्वत लेना छोड़ता कभी नहीं स्टाफ-
दोष न मंत्री का तनिक, सत्य करें स्वीकार।।
२५-८-२०१७
***
नवगीत
*
नयनों ने
नयनों को
नेहिल आमन्त्रण दे
नयनों में बसा लिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मधुरिम-मादक चितवन
खिले अगिन स्नेह-सुमन
मन-प्राणों ने पाती
भेजी, संलग्न जिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मन भाई छवि बाँकी
एकटक देखी झाँकी
नयन कलश, नयन अधर
प्रेमामृत घूँट पिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रकृति-पुरुष पुनः मिले
शत सरसिज विहँस खिले
नयनातुर नयनों ने
नयनों में गेह दिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रणय-पत्र अनबाँचा
नयन-नयन ने बाँचा
पाणिग्रहण पल भर में
नयनों ने आप किया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
युग गाथा गायेगा
चरण-सर नवायेगा
नयनों में नयनों को
बसा कहे 'धन्य प्रिया'
हुलस-पुलक गया हिया।
कृष्ण जन्माष्टमी २०१६
***
पद
प्रभु जी! झूलें विहँस हिंडोला
*
मैया खोंसें कान कजलियाँ, मुस्कायें बम भोला।
ग्वाल-बाल सँग खाँय खजुरियाँ, तजकर माखन-गोला।
हमें बुला बिठलाँय बगल में, राधा का मन डोला।
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसें, भीगा सबका चोला।
सावन गीत गा रहीं सखियाँ, प्रेम सुरों में घोला।
२५-८-२०१६
***
गीत :
*
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
सखी हो तुम
साथ बगिया-गली में
हम खूब खेले
हाथ थामे
मंदिरों में गये
देखे झूम मेले
खाई अमिया तोड़ खट्टी
छीन इमली करी कट्टी
पढ़ी मानस, फाग गायी
शरारत माँ से छिपायी
मैं पकड़ लूँ कान
तो बन सपन
नयनों में पलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
आस हो तुम
प्यास मटकी उठाकर
पनघट गये हम
हास समझे ज़िंदगी
तज रास, हो
बेबस वरे गम
साथ साया भी न आया
हुआ हर अपना पराया
श्वास सूली पर चढ़े चुप
किन्तु कब तुमसे सके छुप
आखिरी दम हे सुधा!
क्या कभी
चन्दर से मिलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
बड़ों ने ही
बड़प्पन खोकर
डुबा दी हाय नौका
नियति निष्ठुर
दे सकी कब
भूल सुधरे- एक मौक़ा?
कोशिशों का काग बोला
मुश्किलों ने ज़हर घोला
प्रथाओं ने सूर्य सुत तज
कन्हैया की ली शरण भज
पाँच पांडव इन्द्रियाँ
हो आस कृष्णा
सँग दोगी, नहिं छलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
***
POEM:
*
I slept
I awakened
I entered my childhood
I smiled.
I slept
I awakened
I entered my young age
I quarreled.
I slept
I awakened
I entered my old age
I repented.
An angel came in dream
And asked
If I get a new life
How will I like to live?
I replied
My life and way of living
Are my own
I will live it in the same way.
I will do nothing better
I will do nothing worse
I will like to live in my own way
It's better to die than to live
According to other's values.
२५-८-२०१५
***

शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

सॉनेट, मुक्तक, रेल, नवगीत, पद, जन्माष्टमी, पोयम

सॉनेट

*
रंगभूमि से जंगभूमि तक
मनमानी अरु मन की बातें
काम करे निष्ठा से जनगण
नेता जी करते हैं घातें
कुटिया का दिन अँधियारा है
संसद की रातें भी उजली
हर अफसर का पौ बारा है
धनपतियों की तबियत मचली
न्याय वही जो कुर्सी चाहे
लिए तराजू तौले अँधा
मन का कालापन वस्त्रों पर
बहस कुतर्कों का है धंधा
बेच-खरीदों जनप्रतिनिधियों को
जो न बिके वह खाए लातें
२५-८-२०२२
***
मुक्तक रेल के
प्रभु तो प्रभु है, ऊपर हो या नीचे हो।
नहीं रेल के प्रभु सा आँखें मीचे हो।।
निचली श्रेणी की करता कुछ फ़िक्र न हो-
ऊँची श्रेणी के हित लिए गलीचे हो।।
***
ट्रेन पटरी से उतरती जा रही।
यात्रियों को अंत तक पहुँचा रही।।
टिकिट थोड़ी यात्रा का था लिया-
पार भव से मुफ्त में करवा रही।।
***
आभार करिए रेलवे का रात-दिन।
काम चलता ही नहीं है ट्रेन बिन।।
करें पल-पल याद प्रभु को आप फिर-
समय काटें यार चलती श्वास गिन।।
***
जो चाहे भगवान् वही तो होता है।
दोष रेल मंत्री को क्यों जग देता है।।
चित्रगुप्त प्रभु दुर्घटना में मार रहे-
नाव आप तू कर्म नदी में खेता है।।
***
आय घटे, वेतन रुके तो हो हाहाकार।
बढ़े टिकिट दर तो हुई जनता ही बेज़ार।।
रिश्वत लेना छोड़ता कभी नहीं स्टाफ-
दोष न मंत्री का तनिक, सत्य करें स्वीकार।।
२५-८-२०१७
***
नवगीत
*
नयनों ने
नयनों को
नेहिल आमन्त्रण दे
नयनों में बसा लिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मधुरिम-मादक चितवन
खिले अगिन स्नेह-सुमन
मन-प्राणों ने पाती
भेजी, संलग्न जिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मन भाई छवि बाँकी
एकटक देखी झाँकी
नयन कलश, नयन अधर
प्रेमामृत घूँट पिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रकृति-पुरुष पुनः मिले
शत सरसिज विहँस खिले
नयनातुर नयनों ने
नयनों में गेह दिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रणय-पत्र अनबाँचा
नयन-नयन ने बाँचा
पाणिग्रहण पल भर में
नयनों ने आप किया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
युग गाथा गायेगा
चरण-सर नवायेगा
नयनों में नयनों को
बसा कहे 'धन्य प्रिया'
हुलस-पुलक गया हिया।
कृष्ण जन्माष्टमी २०१६
***
पद
प्रभु जी! झूलें विहँस हिंडोला
*
मैया खोंसें कान कजलियाँ, मुस्कायें बम भोला।
ग्वाल-बाल सँग खाँय खजुरियाँ, तजकर माखन-गोला।
हमें बुला बिठलाँय बगल में, राधा का मन डोला।
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसें, भीगा सबका चोला।
सावन गीत गा रहीं सखियाँ, प्रेम सुरों में घोला।
२५-८-२०१६
***
गीत :
संजीव
*
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
सखी हो तुम
साथ बगिया-गली में
हम खूब खेले
हाथ थामे
मंदिरों में गये
देखे झूम मेले
खाई अमिया तोड़ खट्टी
छीन इमली करी कट्टी
पढ़ी मानस, फाग गायी
शरारत माँ से छिपायी
मैं पकड़ लूँ कान
तो बन सपन
नयनों में प लोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
आस हो तुम
प्यास मटकी उठाकर
पनघट गये हम
हास समझे ज़िंदगी
तज रास, हो
बेबस वरे गम
साथ साया भी न आया
हुआ हर अपना पराया
श्वास सूली पर चढ़े चुप
किन्तु कब तुमसे सके छुप
आखिरी दम हे सुधा!
क्या कभी
चन्दर से मिलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
बड़ों ने ही
बड़प्पन खोकर
डुबायी हाय नौका
नियति निष्ठुर
दे सकी कब
भूल सुधरे- एक मौक़ा?
कोशिशों का काग बोला
मुश्किलों ने ज़हर घोला
प्रथाओं ने सूर्य सुत तज
कन्हैया की ली शरण भज
पाँच पांडव इन्द्रियों
की मौत कृष्णा
बनोगी, अब ना छलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?

*

***

POEM:

*
I slept
I awakened
I entered my childhood
I smiled.
I slept
I awakened
I entered my young age
I quarreled.
I slept
I awakened
I entered my old age
I repented.
An angel came in dream
And asked
If I get a new life
How will I like to live?
I replied
My life and way of living
Are my own
I will live it in the same way.
I will do nothing better
I will do nothing worse
I will like to live in my own way
It's better to die than to live
According to other's values.
२५-८-२०१५
***

गुरुवार, 25 अगस्त 2022

मुक्तक, रेल,नव गीत,नयन,डेटिंग,पोयमसॉनेट

सॉनेट
*
रंगभूमि से जंगभूमि तक
मनमानी अरु मन की बातें
काम करे निष्ठा से जनगण 
नेता जी करते हैं घातें  

कुटिया का दिन अँधियारा है 
संसद की रातें भी उजली 
हर अफसर का पौ बारा है 
धनपतियों की तबियत मचली

न्याय वही जो कुर्सी चाहे 
लिए तराजू तौले अँधा
मन का कालापन वस्त्रों पर 
बहस कुतर्कों का है धंधा 

बेच-खरीदों जनप्रतिनिधियों को  
जो न बिके वह खाए लातें 
२५-८-२०२२  
***
मुक्तक रेल के
प्रभु तो प्रभु है, ऊपर हो या नीचे हो।
नहीं रेल के प्रभु सा आँखें मीचे हो।।
निचली श्रेणी की करता कुछ फ़िक्र न हो-
ऊँची श्रेणी के हित लिए गलीचे हो।।
***
ट्रेन पटरी से उतरती जा रही।
यात्रियों को अंत तक पहुँचा रही।।
टिकिट थोड़ी यात्रा का था लिया-
पार भव से मुफ्त में करवा रही।।
***
आभार करिए रेलवे का रात-दिन।
काम चलता ही नहीं है ट्रेन बिन।।
करें पल-पल याद प्रभु को आप फिर-
समय काटें यार चलती श्वास गिन।।
***
जो चाहे भगवान् वही तो होता है।
दोष रेल मंत्री को क्यों जग देता है।।
चित्रगुप्त प्रभु दुर्घटना में मार रहे-
नाव आप तू कर्म नदी में खेता है।।
***
आय घटे, वेतन रुके तो हो हाहाकार।
बढ़े टिकिट दर तो हुई जनता ही बेज़ार।।
रिश्वत लेना छोड़ता कभी नहीं स्टाफ-
दोष न मंत्री का तनिक, सत्य करें स्वीकार।।
२५-८-२०१७
***
नव गीत
*
नयनों ने
नयनों को
नेहिल आमन्त्रण दे
नयनों में बसा लिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मधुरिम-मादक चितवन
खिले अगिन स्नेह-सुमन
मन-प्राणों ने पाती
भेजी, संलग्न जिया।
हुलस-पुलक गया हिया।
*
मन भाई छवि बाँकी
एकटक देखी झाँकी
नयन कलश, नयन अधर
प्रेमामृत घूँट पिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रकृति-पुरुष पुनः मिले
शत सरसिज विहँस खिले
नयनातुर नयनों ने
नयनों में गेह दिया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
प्रणय-पत्र अनबाँचा
नयन-नयन ने बाँचा
पाणिग्रहण पल भर में
नयनों ने आप किया
हुलस-पुलक गया हिया।
*
युग गाथा गायेगा
चरण-सर नवायेगा
नयनों में नयनों को
बसा कहे 'धन्य प्रिया'
हुलस-पुलक गया हिया।
*****
कृष्ण जन्माष्टमी २०१६
***
पद
प्रभु जी! झूलें विहँस हिंडोला
*
मैया खोंसें कान कजलियाँ, मुस्कायें बम भोला।
ग्वाल-बाल सँग खाँय खजुरियाँ, तजकर माखन-गोला।
हमें बुला बिठलाँय बगल में, राधा का मन डोला।
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसें, भीगा सबका चोला।
सावन गीत गा रहीं सखियाँ, प्रेम सुरों में घोला।
२५-८-२०१६
***
नव गीत:
*
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
सखी हो तुम
साथ बगिया-गली में
हम खूब खेले
हाथ थामे
मंदिरों में गए
देखे झूम मेले
खाई अमिया तोड़ खट्टी
छीन इमली करी कट्टी
पढ़ी मानस, फाग गाई
शरारत माँ से छिपाई
मैं पकड़ लूँ कान
तो बन सपन
नयनों में पलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
आस हो तुम
प्यास मटकी उठाकर
पनघट गए हम
हास समझे ज़िंदगी
तज रास, हो
बेबस वरे गम
साथ साया भी न आया
हुआ हर अपना पराया
श्वास सूली पर चढ़े चुप
किंतु कब तुमसे सके छुप
आखिरी दम हे सुधा!
क्या कभी
चंदर से मिलोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
*
बड़ों ने ही
बड़प्पन खोकर
डुबा दी हाय! नौका
नियति निष्ठुर
दे सकी कब
भूल सुधरे- एक मौक़ा?
कोशिशों का काग बोला
मुश्किलों ने ज़हर घोला
प्रथाओं ने सूर्य सुत तज
कन्हैया की ली शरण भज
असत पर
सत को जिताने
विहँस हर पीड़ा सहोगी?
मैं बना लूँ मित्र
तो क्या साथ
डेटिंग पर चलोगी?
***
POEM:
sanjiv
*
I slept
I awakened
I entered my childhood
I smiled.
I slept
I awakened
I entered my young age
I quarreled.
I slept
I awakened
I entered my old age
I repented.
An angel came in dream
And asked
If I get a new life
How will I like to live?
I replied
My life and way of living
Are my own
I will live it in the same way.
I will do nothing better
I will do nothing worse
I will like to live in my own way
It's better to die than to live
According to other's values.
२५-८-२०१५
***

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

muktak

मुक्तक रेल  के
प्रभु तो प्रभु है, ऊपर हो या नीचे हो।
नहीं रेल के प्रभु सा आँखें मीचे हो।।
निचली श्रेणी की करता कुछ फ़िक्र न हो-
ऊँची श्रेणी के  हित लिए गलीचे हो।।
***
ट्रेन पटरी से उतरती जा रही।
यात्रियों को अंत तक पहुँचा रही।।
टिकिट थोड़ी यात्रा का था लिया-
पार भव  से मुफ्त में करवा रही।।
***
आभार करिए रेलवे का रात-दिन।
काम चलता ही नहीं है ट्रेन बिन।।
करें पल-पल याद प्रभु को आप फिर-
समय काटें यार चलती श्वास गिन।।
***
जो चाहे भगवान् वही तो होता है।
दोष रेल मंत्री को क्यों जग देता है।।
चित्रगुप्त प्रभु दुर्घटना में मार रहे-
नाव आप तू कर्म नदी में खेता है।।
***
आय घटे, वेतन रुके तो हो हाहाकार।
बढ़े टिकिट दर तो हुई जनता ही बेज़ार।।
रिश्वत लेना छोड़ता कभी नहीं स्टाफ-
दोष न मंत्री का तनिक, सत्य करें स्वीकार।।
***
salil.sanjiv@gmail.com
#हिंदी_ब्लॉगर
http://divyanarmadablogspot.com

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

रेल विभाग में आपात तैयारियां; संजीव

Welcome to Emergency Readiness in Jabalpur circle

You are requested to share the circle invitation below with all your contacts in Jabalpur: 

http://tinyurl.com/Jabalpur-Emergency-Response 

जबलपुर मंडल में आपात स्थिति से निबटने की तैयारी: कुछ सुझाव 
१. जबलपुर में १०० % लोग हिंदी समझते, पढ़ते, लिखते और बोलते हैं. इसलिए सभी सूचनाओं और अंतर्जाल पर सुझाव आमंत्रण में हिंदी को प्रमुखता दें. 
२. जबलपुर में अ. भूकंप. आ. चक्रवात / तूफ़ान, इ.भारी वर्षा, ई. अग्निकांड, उ. महामारी अथवा ऊ. दंगा के रूप में आपात स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इनसे निबटने के लिये क. तात्कालिक तथा ख. दीर्घकालिक उपाय करने होंगे. कुछ उपाय उक्त सभी के लिए सामान होंगे तथा कुछ उपाय आपात स्थिति के प्रकार और गंभीरता अथवा व्यापकता के अनुसार बदलेंगे. 
३. इस संबंध में व्यापक चर्चा तथा योजना बनाकर क्रियान्वयन के लिए स्थानीय अधिकारी बैठक कर बात करें तो अधिक सार्थक होगा. यहाँ सब कुछ लिखा नहीं जा सकता. 
५. लेखक को मानने उच्च न्यायालय में इस संबंध में चले वाद प्रकरण में राज्य शासन का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए उत्तर तैयार करते समय पर्याप्त सामग्री जुटाना पड़ी. चर्चा में उस अनुभव को साझा किया जा सकता है. 
६. तैयारी हेतु संसाधन रेलवे के अपने, जिला प्रशासन के, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम आदि से जुटाकर सम्मिलित कार्य योजना बनाना होगी. उक्त तथा कुछ अन्य आपात स्थितियों की परिकल्पना कर वांछित कार्ययोजना बनाकर रखने और संबंधितों की जानकारी सूचीबद्ध होने पर तत्काल सूचित कर सहयोग ले पाना और निर्देश दे पाना संभव होगा. 
७. आपात स्थिति में जन प्रतिनिधियों पार्षदों, विधायकों, संसद, जनपद सदस्यों, संस्था प्रमुखों प्राचार्यों, स्वास्थ्य अधिकारी, महापौर, मुख्या अभियंता, आयुध निर्माणियों, विकास प्राधिकरण, अभियांत्रिकी महाविद्यालयों, मेडिकल कोलेज आदि के संसाधनों को एक जुट करना होगा. 
८. रेल विभाग को क्या मदद अन्यों से चाहिए और क्या मिल सकती है तथा क्या मदद अन्यों को चाहिए और क्या दी जा सकती है का भी आकलन करना होगा. 
९. सेवानिवृत्त किन्तु स्वस्थ कर्मचारियों / अधिकारीयों के व्यापक अनुभव का लाभ कब. कहाँ. कैसे लिया जा सकता है पूर्वानुमान करना होगा. 
१०. यथाशीघ्र विषय के जानकारों के साथ बैठकें कर प्रस्तावित कार्ययोजना तैयार कर लेना बेहतर होगा.

रविवार, 19 अप्रैल 2015

रेल विभाग में हो रही गडबडियों को दूर करने के लिए सुझाव

जागो! नागरिक जागो:
रेल विभाग में हो रही गडबडियों को दूर करने के लिए सुझाव निम्न लिंक पर भेजें.

https://www.localcircles.com/a/home?t=c&pid=c1JkPSJmxm8W17A9FSAPUH6cnEfqHwd71PC2PI2aL08

रेलवे समाज सेवा और जनकल्याण भावना से संचालित विभाग है जिसके सुचारू सञ्चालन हेतु लाभांश आवश्यक है किन्तु लाभ एकमात्र लक्ष्य नहीं हो सकता. ग्राहक अधीनस्थ नौकर या गुलाम नहीं रेलवे का जीवनदाता है. नियम और नीति बनानेवालों तथा कर्मचारियों-अधिकारियों को यह तथ्य सदा स्मरण रखना चाहिए तथा कार्यस्थलों पर अंकित भी करना चाहिए. सभी सूचनाएं हिंदी तथा स्थानीय भाषाओँ में प्राथमिकता से हों. अंग्रेजी को अंत में स्थान हो.
१. तत्काल में कन्फर्म टिकिट निरस्त करने पर कोइ राशी वापिस न हो तो कोई टिकिट निरस्त करेगा ही क्यों? रेलवे ऐसी बर्थ खाली न रख अन्य यात्री को आवंटित कर राशी वसूल लेती है. अत: निरस्त करनेवाले यात्री को ७५% राशी लौटानी चाहिए.
२. तत्काल टिकिट खिड़की पर रोज बुकिंग करनेवाले एजेंटों की पहचान कर उन्हें अलग किया जाने पर ही वास्तविक यात्री को टिकिट मिलेगा. वर्तमान में कुछ लडके हर स्टेशन पर यही व्यवसाय करते हैं. रोज थोक में टिकिट लेते हैं और बेचते हैं और इसमें रेलवे कर्मचारी भी सम्मिलित होते हैं.
३. खान-पान का सामान निम्न गुणवत्ता का, मात्रा में कम और निर्धारित से अधिक कीमत में उपलब्ध कराना यात्री की जेब पर डाका डालने के समान है. टिकिट निरीक्षक या कंडकटर्स ऐसी शिकायत पर ध्यान नहीं देते. पेंट्रीकर वाले भी ठंडा-बेस्वाद भोजन देते हैं. रेलगाड़ी के वीरान स्थल के समीपस्थ होटलों मो निर्धारित मूल्य पर भोजन समग्रे उपलब्ध करने का ठेका देने का प्रयोग किया जाना चाहिए.
४. वातानुकूलित डब्बे में आगामी स्टेशन की जानकारी देना जरूरी है. रेल के मार्ग तथा स्टेशनों की दूरी व् समय दर्शाता रेखाचित्र दरवाजों के समीप अंकित किया जाए. कोच अटेंडेंट को जानकारी हो की किस बर्थ का यात्री कहाँ उतरेगा ताकि वह यात्री से बिस्तर ले सके और दरवाजा खोलकर उसे उतरने में सहायता कर सके. अभी तो वह सोता रहता है या अपनी बर्थ किसी को बेचकर लापता हो जाता है.
५. यात्री के यात्रा आरम्भ करने से लेकर यात्रा समाप्त करने तक बिस्तर उससे नहीं लिया चाहिए. यात्रा आरम्भ होने के २-३ स्टेशन बाद बिस्तर देना और २-३ स्टेशन पहले से बिस्तर वापिस ले लेना गलत है. जबलपुर-दिल्ली की रेलगाड़ियों में प्रायः कटनी-सिहोरा के बीच बिस्तर दिया जाता है और यहीं वापिस ले लिया जाता है. अटेंडेंट झगडालू तथा बदतमीज हैं.
६. कंबल पुराने-गंदे तथा टॉवल / नेपकिन न देना आम है. पैकेट पर लिखा होने की बाद भी नेपकिन नहीं दिया जाता. बेहतर हो की ठेकों से नेपकिन हटाकर उसकी राशि टिकिट में कम कर दी जाए. डिस्पोजेबल नेपकिन जी लौटना न हो भी इसका एक उपाय है.
७. यात्री को बिस्तर लेने या न लेने का विकल्प दिया जाए तो वह गंदा-पुराना सामान वापिस कर सकेगा और तब ठेकेदार स्वच्छ बिस्तर देने को बाध्य होगा.
८. यात्री के पास निर्धारित से अधिक वज़न का सामान होने पर तत्काल वज़न कर लगेज वैन में रखने और उतरते समय पावती देखकर लौटने की व्यवस्था हो तो रेलवे की आय बढ़ेगी तथा डब्बों में असुविधा घटेगी. अभी तो बारात या परिवार का पूरा समान ले जानेवाले अन्य यात्रियों के लिए मुश्किल कड़ी कर देते हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती.
९. महत्वपूर्ण व्यक्ति को आवंटित टिकिट पर उसका चित्र अंकित हो ताकि उसका सहायक, रिश्तेदार या कोई अन्य यात्रा न कर सके.
१०. कैंटीन बहुत अधिक दाम पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध करते हैं. अतः, प्लेटफोर्म पर स्थानीय लाइसेंसधारी विक्रेताओं को अवश्य रहने दिया जाए किन्तु उनकी सामग्री की गुणवत्ता और ताजे होने की संपुष्टि रोज की जाए.
११.  रिफंड के लिए टी.टी.इ. प्रमाणपत्र नहीं देते. अत: इसका प्रावधान समाप्त किया जाए और सेल्फ अटेस्टेशन की तरह टिकिटधारी की घोषणा को ही प्रमाण माना जाए. इससे आम आदमी में उत्तरदायित्व तथा सम्मान का भाव जाग्रत होगा.
१२. स्टिंग ऑपेरशन की तरह यात्री द्वारा कुछ गलत होते देखे जाने पर मोबाइल से रिकोर्ड/शूट कर ईमेल से भेजे जाने अथवा सूचित किये जाने के लिए कुछ चलभाष क्रमांक / ईमेल पते निर्धारित कर हर स्टेशन तथा डब्बों में अंकित किये जाए. इससे विभाग को बिना किसी वेतन के उसके ग्राहक ही सुचनादाता के रूप में सहयोग कर सकेंगे. आपात स्थिति, दुर्घटना अथवा नियमोल्ल्न्घन की स्थिति में तुरत कार्यवाही की जा सकेगी.
१३. रिफंड के नियम सरल किये जाएँ. कोई यात्र्र विवशता होने पर ही यात्रा निरस्त करता है. किसी की विवशता का लाभ उठाना घटिया मानसिकता है. यात्रे खुद को ठगा गया अनुभव करता है और फिर रेलवे को किसी न किसी रूप में क्षति पहुँचाकर संतुष्ट होता है. इसे रोका जाना चाहिए. रिफंड जल्दी से जल्दी और अधिक से अधिक किया जाए.
१४. आय वृद्धि के लिए डब्बों पर विज्ञापन दिए जाएँ जिनके साथ विज्ञापन अवधि बड़े अक्षरों में अंकित हो ताकि तत्काल बाद हटाकर नए विज्ञापन लगाये जा सकें.
१५. रेलवे के आगामी ५० वर्ष बाद की आवश्यकता और विस्तार का पूर्वानुमान कर बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएँ. अधिकारियों के लिए बड़े-बड़े और अलग-अलग कक्ष समाप्त कर एक कक्ष में अधिकारी-कर्मचारी काम करें तो समयबद्धता, अनुशासन तथा बेहतर वातावरण होगा.