प्रणति-गीत
*
शत-शत नमन पूज्य माँ-पापा
यह जीवन है
देन तुम्हारी.
*
वसुधा-नभ तुम, सूर्य-धूप तुम
चंद्र-चाँदनी, प्राण-रूप तुम
ममता-छाया, आँचल-गोदी
कंधा-अँगुली, अन्न-सूप तुम
दीप-ज्योति तुम
'मावस हारी
*
दीपक-बाती, श्वास-आस तुम
पैर-कदम सम, 'थिर प्रयास तुम
तुमसे हारी सब बाधाएँ
श्रम-सीकर, मन का हुलास तुम
गयी देह, हैं
यादें प्यारी
*
तुममें मैं था, मुझमें तुम हो
पल-पल सँग रहकर भी गुम हो
तब दीखते थे आँख खोलते
नयन मूँद अब दीखते तुम हो
वर दो, गहें
विरासत प्यारी
*
रहे महकती सींचा जिसको
तुमने वह
संतति की क्यारी
***
७.१०.२०१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 7 अक्टूबर 2020
प्रणति-गीत
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माँ
बुधवार, 17 जून 2020
शिशु गीत - पापा
शिशु गीत सलिला :
संजीव 'सलिल'
*
पापा-
पापा लाड़ लड़ाते खूब,
संजीव 'सलिल'
*
पापा-
पापा लाड़ लड़ाते खूब,
जाते हम खुशियों में डूब।
उन्हें बना लेता घोड़ा-
हँसती, देख बाग़ की दूब।।
*
पापा चलना सिखलाते,
सारी दुनिया दिखलाते।
रोज बिठाकर कंधे पर-
सैर कराते मुस्काते।।
*
गलती हो जाए तो भी,
मुझे नहीं खोना आपा।
सीख-सुधारो, खुद सुधारो-
सीख सिखाते थे पापा।।
*
उन्हें बना लेता घोड़ा-
हँसती, देख बाग़ की दूब।।
*
पापा चलना सिखलाते,
सारी दुनिया दिखलाते।
रोज बिठाकर कंधे पर-
सैर कराते मुस्काते।।
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गलती हो जाए तो भी,
मुझे नहीं खोना आपा।
सीख-सुधारो, खुद सुधारो-
सीख सिखाते थे पापा।।
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