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मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १६ 'अग' से प्रारंभ शब्द : ३. -- संजीव 'सलिल'


हिंदी शब्द सलिला : १६       संजीव 'सलिल'


*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, सूर.-सूरदास, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

'अग' से प्रारंभ शब्द : ३.

संजीव 'सलिल'
*
अगहाट - पु. भूमि जो बहुत दिनों से किसी अन्य के अधिकार में हो और वह छोड़ने के लिये तैयार न हो.
अगहार - पु. देखें अग्रहार.
अगहुँड़ - अ. आगे, आगे की ओर. वि. आगे चलनेवाला.
अगाउनी - अ. अगौनी, आगे, अग्रिम.
अगाऊँ / अगाऊ - वि. पेशगी, आगे का, अग्रिम, अ. आगेसे, पहले से, पूर्वसे.
अगाड़ - पु. हुक्के की निगाली, ढेंकली के छोर पर लगी पतली लकड़ी.
अगाड़ा - पु. पहले भेजा जानेवाला यात्रा का सामान.
अगाड़ी - अ. आगे, पहले, सामने, भविष्य में. स्त्री. आगे का हिस्सा, घोड़े की गर्दन में बंधी रस्सियाँ, अंगरखे या कुरते के सामने का हिस्सा, सेना का पहला धावा.
अगाड़ू  - अ. आगे, पहले.
आगाता - पु. सं. अच्छा न गानेवाला व्यक्ति.
अगात्मजा - स्त्री, सं. पार्वती, .
अगाद - वि. अगाध.
अगाध - वि. सं. अतल, अथाह, अपार, अधिक, दुर्बोध, अज्ञेय. पु. स्वाहाकार की पाँच अग्नियों में से एक, गहरा छेद, गड्ढा.-जल-पु. गहरा जलाशय, बावली, झील.-रुधिर- पु. अत्यधिक रक्त, बहुत अधिक खून.
अगान - वि. अज्ञानी, नासमझ. पु. नासमझी.
अगामै - अ. आगे.
अगार - अ. आगे. पु. सं. देखें आगार.
अगारी - अ. स्त्री. देखें अगाड़ी.
अगारी / रिन - वि. सं. मकान्वाला.
अगाव - पु. ईख के ऊपर का रसहीन भाग.
अगास - पु. देखें आकाश, द्वार के सामने का चबूतरा.
अगाह - वि. अथाह, अत्यधिक, उदास, चिंतित, देखें आगाह. अ. आगे से, पहले से.
                                                                          -- निरंतर

सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १५ 'अग' से प्रारंभ शब्द : २. --संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : १५        संजीव 'सलिल'

*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, सूर.-सूरदास, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

'अग' से प्रारंभ शब्द : २.

संजीव 'सलिल'
*
अगदित - वि. सं. अकथित, जो कहा न गया हो.
अगन - स्त्री. अग्नि, आग, जलन, तपन. पु. दुष्टगण पिंगल. वि. अगण्य, बेशुमार उ.
अगनत / अगनित - वि. देखें अगणित.
अगनिउ - पु. अग्निकोण, आग्नेय, दक्षिण-पूर्व का कोना.
अगनी - स्त्री. घोड़े के सिर पर की भौंरी, अग्नि. वि अगनित.
अगनू - स्त्री. आग्नेय कोण, अग्नि कोण.
अगनेउ / अग्नेत - पु. अग्नि कोण.
अगम-वि. सं. न चलनेवाला, अगंता, सुदृढ़ -लंका बसत दैत्य अरु दानव, उनके अगम सरीरा. सूर., पु. वृक्ष, पहाड़. वि. देखें अगम्य. पु. देखें आगम.
अगमन-पु. सं. गमन का अभाव, न जाना. अ. आगे से पहले.
अगमनीया-वि. स्त्री. सं. देखें अगम्या.
अगमानी-पु. अगुआ, नायक, नेता. स्त्री. अगवानी.
अगमासी-स्त्री. देखें अगवाँसी.
अगम्य-वि. सं. दुर्गम, पहुँच के बाहर, अप्राप्य, अयुक्त, मन-बुद्धि के परे, कठिन, अपार, अथाह, जिससे सहवास न किया जा सके,-गा- स्त्री. अपात्र पुरुष से सम्बन्ध रखनेवाली स्त्री.-रूप- वि. जिसका रूप / स्वभाव समझ न आये. -वाक्- जिसकी वाणी /  बात समझ में न आये.
अगम्या-वि. स्त्री. सं. गमन न करनेयोग्य स्त्री, स्त्री जिसके संग सहवास / संभोग वर्जित हो, अन्त्यजा.-गमन- पु. अगम्या स्त्री से सहवास करना, एक महापातक. -गमनीय-वि. अवैध सम्बन्ध विषयक. -गामी / मिन- वि. अगम्यागमन करनेवाला.
अगर-पु. एक वृक्ष जिसकी लकड़ी में सुगंध होती है और जिसे धूप दशांग में डाला जाता है, उद. -बत्ती-  स्त्री. अगरकी बत्ती.-सार- अगरु नामक वृक्ष.  
अगर-पु. आगार, घर, आवास. -जे संसार-अंधियार अगरमें भये मगनबर- काव्यांगकौमुदी.
अगर-अ. फा. यदि, मगर, जो, किन्तु, परन्तु. -चे- अ. यद्यपि. मुहा.-मगर करना - तर्क करना, सोच-विचार करना, आगा-पीछा करना, टाल-मटोल करना.
अगरई-वि. कालापन लिये हुए सुनहरे रंग का.
अगरना-अक्रि. आगे जाना, बढ़ना.
अगरपार-पु. क्षत्रियों का एक भेद.
अगर-बगर-अ. देखें अगल-बगल.
अगरवाला/अगरवाल-पु. वैश्यों की एक जाति, अग्रवाल.
अगराई-स्त्री. स्त्री. अग्रता, श्रेष्ठता,-गिरा अगराई गुनगरिमा-गगन कौं-घन.
अगराना-सक्रि.मन बढ़ाना, लाड़-प्यार के कारण धृष्ट बनाना, अक्रि. प्यार आदि के कारण धृष्टतापूर्ण व्यवहार करना.
अगरी-स्त्री. देखें अगड़ी, फूस की छाजन का एक तरीका, बुरी बात, धृष्टता सं., एक विषनाशक द्रव्य, देवताड़ वृक्ष.
अगरु-पु. सं. अगर का पेड़ / लकड़ी.
अगरे-अ. सामने, आगे.
अगरो-वि. अगला, श्रेष्ठ, अधिक, निपुण.
अगर्व-वि. सं. गर्व / अभिमान से रहित, निरभिमान.
अगर्हित-वि. सं. जो बुरा न हो, अनिंद्य.
अगल-बगल-अ. इधर-उधर, आस-पास, निकट, समीप.
अगला-वि. आगे / सामने का, गत / बीते समय का, पुराना, जानेवाला, बादका. पु. अगुआ, चतुर, चालाक, पूर्वज, कर्णफूल में आगे लगी हुई जंजीर, गाँव और उसकी सीमा के बीच पड़नेवाले खेत.
अगवना-सक्रि. सहना, अंगेजना. अक्रि. आगे बढ़ना, अग्रसर होना.
अगवाँसी-स्त्री. हलकी वह लकड़ी जिसमें फाल लगता है.    
अगवाई-स्त्री. अगवानी. पु. अगुआ.
अगवाड़ा-पु. घर के आगे का भाग / भूमि, पिछवाड़ा का उल्टा.
अगवान-पु.अगवानी करनेवाला, अगवानी.
अगवानी- स्त्री. आगे बढ़कर मिलना/स्वागत करना, बारात के स्वागतार्थ कन्यापक्ष के बड़ों का आगे जाना. पु. अगुआ.
अगवार-खलिहान में पुरोहित / फकीर आदि को देने के लिये अलग किया जानेवाला अन्न, ओसाते उड़ावनी करते समय भूसे के साथ उड़नेवाला हल्का अन्न, गाँव का चर्मकार, देखें अगवाड़ा.
अगसर-अ. आगे, -'अगसरखेती, अगसरभार, घाघ कहैं, ये कबहूँ न हार'- अमरबेल-वृन्दावन लाल वर्मा..
अगसार / अग्सरी-अ. आगे.
अगस्त-पु. ईसवी साल का आठवाँ माह, एक ऋषि / वृक्ष देखें अगस्त्य.
अगस्ति-पु. सं. एक प्राचीन ऋषि जिन्होंने एक चुल्लू में भरकर समुद्र को पी लिया था, एक तारा, एक पेड़.
अगस्त्य-पु. सं. देखें अगस्ति, शिव.-कूट- दक्षिण भारत स्थित एक पर्वत जिससे ताम्रपर्णी नदी निकली है.-गीता- स्त्री.शांतिपर्व महाभारत में कथित एक गीता.-चार /मार्ग-पु. अगस्त नामक तरे का मार्ग.-तीर्थ-पु. दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ.-वट-पु. हिमालय पर स्थित एक पवित्र तीर्थ.-संहिता-स्त्री. अगस्त्य मुनि-रचित एक धर्मग्रन्थ.
अगस्त्योदय-पु. सं. अगस्त्य का उदय (भाद्रपद शुक्लपक्ष).
अगह-वि. अग्राह्य, पकड़ में न आने लायक, चंचल, ग्रहण न करने योग्य, दुस्साध्य, वर्णन /चिंतन के बाहर.
अगहन-पु. भारतीय वर्ष का नौवाँ माह, अग्रहायण / मार्गशीर्ष माह.
अगहनिया-वि. अगहन में होनेवाला, धान.
अगहनी-वि. अगहन में तैयार होनेवाला. स्त्री. अगहन में तैयार होनेवाली फसल. 
अगहर-आगे/पहले.                                                                                                                                                     क्रमशः

गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १४ 'अग' से प्रारंभ शब्द : १ -- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : १४        संजीव 'सलिल'

*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

'अग' से प्रारंभ शब्द : १.

संजीव 'सलिल'
*
अगंड-पु. बिना हाथ-पैर का धड़.
अगंता/तृ - वि. सं. न चलनेवाला, न जानेवाला, स्त्री. अगंत्री.
अग-वि. सं. चलने में असमर्थ, स्थावर, टेढ़ा चलनेवाला, अगम्य, अज्ञ, अज्ञान. पु. पहाड़, पेड़, साँप, सूर्य, घडा, ७ सँख्या, सप्त.--पहाड़ या वृक्ष से पैदा होनेवाला, पहाड़-पहाड़ घूमनेवाला, जंगली, वनचर, वन्य. पु. शिलाजतु, हाथी, गज.-जग-पु. चराचर.-जा-स्त्री. पार्वती.
अगच्छ-वि. सं.जो न चले, अचल. पु. वृक्ष, पर्वत. 
अगट-वि. सं. पु. मांसकी दूकान.
अगटना-अक्रि. एकत्र होना.
अगड़-पु. अकड़, ऐंठ.
अगड़धत्त/अगड़धत्ता-वि. लंबा-तगड़ा, ऊँचा, बढ़ा-चढ़ा.
अगड़बगड़-वि. उलजलूल, बेसिर-पैरका, ऊटपटांग. पु. अंड-बंड काम/बात.
अगड़म-बगड़म-पु. तरह-तरह की चीजों का बेतरतीब ढेर, कबाड़.
अगड़ा/अगड़ी - पु./स्त्री. उच्च वर्ग का/की, पिछड़ा/पिछड़ी का उल्टा.
अगण-पु. सं. पिंगल के चार गण- जगण, तगण, रगण, सगण जजों छंद के आदि में शुभ माने जाते हैं.
अगणन-वि. सं. अगणनीय, असंख्य, अनगिनत.
अगणनीय-वि. सं. देखें अगण्य.
अगणित-वि. सं. अनगिनत, बेहिसाब उ.,-प्रतियात-वि. ध्यान न दिए जाने/उपेक्षित होने/अनदेखी किएजाने के कारण लौटा हुआ.-लज्ज-वि. लज्जा का विचार न करनेवाला, निर्लज्ज, बेशर्म, बेहया. 
अगण्य - वि. सं. असंख्य, तुच्छ, उपेक्षणीय.
अगत - वि. सं. न गया हुआ. आगे चलने हेतु हाथी को आगे बढ़ाने हेतु महावत द्वारा प्रयुक्त किया जानेवाला शब्द. स्त्र. देखें अगति.
अगति - स्त्री. सं. गति का अभाव, पहुँच का न होना, उपाय का अभाव, दुर्दशा, उन्नति का अभाव, प्रगति का रुक जाना, अ. सद्गति मोक्ष-प्राप्ति,-गति-अद्गति मोक्ष की अप्राप्ति, स्थिर पदार्थ. वि. गतिहीन, निरुपाय.
अगतिक - वि. सं. निरुपाय, निराश्रय.-गति-स्त्री. आश्रयहीन का आश्रय, अंतिम आश्रय, ईश्वर.
अगती - वि. सद्गति का अनाधिकारी, कुकर्मी, पापी. पु. पापी मनुष्य. स्त्री एक पौधा जो चरमरोग की दावा है, चकवँड़. वि. पेशगी, अग्रिम, एडवांस इं. अ. पहले से.
अगतीक - वि. सं. जिसपर चलना उचित न हो, कुमार्ग, देखें अगतिक.
अगत्या - अ. सं. आगे चलकर, अंत में, सहसा, अन्य गति/उपाय न रहनेसे, लाचार/बाध्य होकर.
अगदंकार - पु. सं. वैद्य, वैद दे., हकीम उ., डॉक्टर इं.
अगद - वि. सं. नेरोग, स्वस्थ, न बोलनेवाला, बाधारहित. पु. एक औषध, स्वास्थ्य, आरोग्य.-तंत्र-पु. आयुर्वेद के ८ अंगों में से एक जिसमें सर्पादी के दंश की चिकित्सा वर्णित है.-वेद-पु.चिकित्सा-शास्त्र, आयुर्वेद, आयुर्विज्ञान.
                                                                   --- निरंतर.        

बुधवार, 20 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १३ अख से प्रारंभ शब्द : -- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : १३      संजीव 'सलिल'

*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अख से प्रारंभ शब्द : 

संजीव 'सलिल'
*
अखंग - वि. न चुकनेवाला.
अखंड - वि. सं. संपूर्ण, अविकल, पूरा, अटूट, निर्बाध, बाधारहित, जिसका सिलसिला न टूटे. -द्वादशी- स्त्री. मार्गशीर्ष शुक्ला द्वादशी. -पाठ- आदि से अंत तक बिना रुके चलने वाला पाठ. -सौभाग्य- पु. स्त्री के जीवनांत तक पति का जीवित रहना, सधवा, विधवा न होना.
अखंडन - वि. सं. अखंडित, अखंडनीय, समूचा. पु. परमात्मा, काल,समय, स्वीकार, खंडन न करना.
अखंडनीय - वि. सं. जिसका खंडन न किया जा सके, सुदृढ़, अविभाज्य.
अखंडल - वि. अखंड, संपूर्ण. पु. आखण्डल, इंद्र.
अखंडित - वि. सं. अखंड, अटूट, अबाधित, जिसका खंडन न हुआ हो.
अखगरिया - पु. एक तरह का दोष (एब) युक्त घोड़ा.
अखज - वि. अखाद्य, न खाने योग्य, अभक्षणीय, अभोजनीय.
अखट्ट - पु. सं. प्रियाल वृक्ष.
अखट्टि - स्त्री. सं. बाल-कल्पना, असद्व्यवहार.
अखड़ा - पु. दे. ताल के बीच का गड्ढा, जो खड़ा न हो, बैठा / लेटा.
अखड़ैत - पु. पहलवान, मल्ल.
अखती - स्त्री. दे. देखें, अखतीज.
अखतीज - स्त्री. अक्षय तृतीया.
अखनी - स्त्री. यखनी, शोरबा, तरल मसाला, करी इं.
अखबार - पु. अर. खबर का बहुवचन, कई समाचार, समाचारों, समाचार पत्र, न्यूज पेपर इं. -नवीस- अखबार लिखनेवाला, पत्रकार, -नवीसी- स्त्री. पत्रकारी, पत्रकारिता, जर्नलिज्म इं.
अखबारी - वि. समाचार पत्र संबंधी, समाचार पत्र में छपी.
अखय - वि., दे., देखें अक्षय.
अखर - पु., दे., देखें अक्षर.
अखरना - अक्रि., खलना, बुरा लगना, काठी / कष्टप्रद अनुभव होना.
अखरा - पु., बिना कुटे जौ का आटा, अक्षर. वि. जो खरा (सच्चा) न हो, खोता / झूठा.
अखरावट - स्त्री. वर्णमाला, अक्षर क्रम, अल्फाबेट्स इं. अक्षरक्रम के अनुसार पद्य समूह, आद्याक्षरी काव्य, मालिक मुहम्मद जायसी रचित एक लघु ग्रंथ.
अखरावटी- स्त्री. अखरावट में निहित.
अखरोट - एक मेवा, अखरोट का पेड़. -जंगली- पु. जायफल.
अखर्व - वि. सं. जो छोटा या ठिगना न हो, बड़ा, लंबा, दीर्घ, महत. 
अखर्वा - स्त्री. सं. एक पौधा.
अख़लाक़ - पु. अर./ वि. शिष्ट / ता, शालीन / ता, सौजन्य / ता, सदाचार / रिता.
अखाड़ा - पु. कुश्ती लड़ने या कसरत करने का स्थान, व्यायामशाला, दंगल, जिम इं., सांप्रदायिक साधुओं की मंडली, साधुओं के रहने का स्थान, मठ, करतब दिखाने या गाने-बजानेवालों की जमात, सभा, दरबार, अड्डा, जमघट, आँगन, -इन्दर का अखाड़ा- नृत्यशाला, रंगशाला. मुहा. -गरम होना- अधिक भीड़ होना. -जमना- खिलाड़ियों व दर्शकों का अखाड़े में जमा होना, भीड़ जुटाना, अनेक व्यक्ति एकत्र होना, -अखाड़े का जवान- कसरती शरीर का व्यक्ति, स्वस्थ्य व्यक्ति, -अखाड़े में आना / उतरना- चुनौती देना, मुकाबले में उतरना, लड़ने के लिए तैयार होना, ललकारना.
अखाड़िया - वि. दंगली, पहलवान, मल्ल, अन्य मल्लों को पछाड़नेवाला, रेस्ट्लर इं.
अखात - पु. सं. प्राकृतिक झील, ताल, खाड़ी.
अखाद्य - वि. सं. अखाद्य, न खाने योग्य, अभक्षणीय, अभक्ष्य, अभोजनीय.
अखानी - स्त्री. कृषि में देंवरी के समय डंठल एकत्र करने का औजार.
अखार - पु. कुम्हार द्वारा मिट्टी का सामान बनाने के लिए चके / चाक पर रखा जानेवाला मिट्टी का लोंदा (चिकनी मिट्टी के महीन चूर्ण को पानी में सानकर बने गया गोला).
अखारा - पु. दे. देखें अखाड़ा.
अखिन्न - वि ,खेदरहित, क्लेशरहित, अक्लांत, प्रसन्न.
अखिल - वि. सं. सकल, सब, समस्त, संपूर्ण, सारा, कृषि-योग्य / कृष्ट भूमि.
अखिला - वि. अविकसित, अप्रसन्न, मुर्झाया.
अखिलात्मा /त्मन - पु. सं. ईश्वर, चित्रगुप्त, परमात्मा, विश्वात्मा.
अखिलेश - पु. सं. चित्रगुप्त, परमेश्वर, सबका स्वामी.
अखीन - वि. अक्षीण, न छीजनेवाला, अविनाशी.
अखीर - पु. अर. अंत, समाप्ति, खात्मा उ., एंड इं.
अखीरी - वि. अखीरका, अंतिम, आख़िरी, ईश्वरी.
अखुटित - लगातार, निरंतर, बराबर, सतत.
अखूट - वि. अखंड, जो खंडित / क्षतिग्रस्त न हो, जो घटे नहीं, अक्षय, अक्षर, अत्यधिक, अविनाशी, अनंत. 
अखेट - पु. देखें आखेट.
अखेटक - पु. देखें आखेटक.
अखेटिक - पु. सं. वृक्ष, वह कुत्ता जिसे शिकार का पीछा करना सिखाया गया हो, शिकारी कुत्ता. 
अखेद - पु. सं. दुःख / खेद का अभाव, प्रसन्नता, खुशी, हर्ष. वि. प्रसन्न, खुश, हर्षित, दुःखरहित. अ.प्रसन्नता / हर्ष पूर्वक / सहित.
अखेदी / दिन - वि. सं. अक्लांत, जो थका न हो, स्त्री. अखेदिनी.   
अखेलत - जो खेलता न हो, अचंचल, स्थिर, आलस्ययुक्त.
अखै - वि. देखें अक्षय. -बट-, -वट-, -बर-, -वर- अक्षय वट.     





अखैनी - स्त्री. सुखाने के लिये डंठल उलटने की लग्गी.
अखोर - वि. निकम्मा, बेकाम, तुच्छ, पु. बेकार वस्तु, कूड़ा-करकट, ख़राब घास, कचरा.
अखोला - पु. अंकोल वृक्ष.
अखोह - पु. ऊबड़-खाबड़ / बंजर / अनूपजाऊ भूमि.
अखौट / अखौटा - चक्की / जाँते की किल्ली, गडारी का डंडा.
अख्खाह - अ. अर. आश्चर्यसूचक उद्गार, बहुत खूब.
अख्ज - पु. अर. ग्रहण करने / लेने / पकड़ने / स्वीकारने का भाव. मुहा.-करना-ग्रहण करना, नतीजा निकालना, बूझना, बात से बात निकलना.    
अख्तर - पु. अर. तरा, झंडा,-शुमार- पु. ज्योतिषी.-शुमारी-स्त्री. जन्मपत्री / कुण्डली बनाना, बेकरारी से / जागते हुए रात काटना. मुहा.-चमकना- नसीब जागना, भाग्योदय.
अख्तियार - पु. देखें इख्तियार.   
अख्यात - वि. सं. अप्रसिद्ध, अप्रतिष्ठित, अविदित.
अख्यान - पु. देखें आख्यान.
अख्यायिका - स्त्री. देखें आख्यायिका.

मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : १२ अ से प्रारंभ शब्द : १२ --- संजीव 'सलिल'


हिंदी शब्द सलिला : १२     संजीव 'सलिल'

*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अ से प्रारंभ शब्द : १२

संजीव 'सलिल'
*
अक्षया  - स्त्री. सं. पुण्यतिथि विशेष.
अक्षयिणी - वि. स्त्री. सं. देखें अक्षयी, स्त्री. पार्वती.
अक्षयी / यिन  - वि. सं. जिसका क्षय / नाश न हो, अविनाशी.
अक्षय्य - वि. सं. क्षय न होने योग्य, कभी न चुकनेवाला, -नवमी- स्त्री. कार्तिक शुक्ल नवमी.
अक्षय्योदक - पु. सं. श्राद्ध में पिंडदान के बाद दिया जानेवाला जल, मधु और तिल का अर्ध्य.
अक्षर - वि. सं. अविनाशी, अपरिवर्तनशील, अच्युत, नित्य, अक्षय. पु. वर्ण, हर्फ़ उ., स्वर, शब्द, चित्रगुप्त, ब्रम्हा, आत्मा, शिव, विष्णु, खड्ग, आकाश, मोक्ष, तपस्या, जल, अपामार्ग. -गणित- पु. बीजगणित. -चंचु / चण / चन / चुंचु- पु. सुलेखक. -च्युतक- एक खेल. -जननी- स्त्री. लेखनी. - जीवक / जीविक, जीवी / जीविन- पु. लिखने का व्यवसाय करनेवाला, मुंशी, लेखक. -ज्ञान- पु. लिख-पढ़ लेने की योग्यता, साक्षरता, -तूलिक- स्त्री., लेखनी. -धाम- पु. ब्रम्ह्लोक, मोक्ष. -न्यास- पु. लिखावट, तन्त्र की एक क्रिया. -पंक्ति- स्त्री., एक वैदिक वृत्त. -पूजक- वि. धार्मिक पुस्तकों में लिखी बातों का अक्षरशः पालन करनेवाला. -बंध- पु. एक वर्णवृत्त. -माला- स्त्री. स्त्री. वर्णमाला, अल्फाबेट्स इं., हरूफ उ. -मुख- पु. विद्यार्थी, छात्र, विद्वान्. '' अक्षर, वि. अक्षर सीखनेवाला, -मुष्टिका- स्त्री. उँगलियों के संकेत द्वारा बोलना, -वर्जित / शत्रु- व-. अपढ़, निरक्षर. -विन्यास- पु. वर्णविन्यास, हिज्जे उ., स्पेलिंग इं., लिपि, स्क्रिप्ट इं., -वृत्त- वर्णवृत्त, -संस्थापन- पु. लिपि, लिखे हुए अक्षर, -समाम्नाय- पु. वर्णमाला, मु. -घोंटना- अक्षर लिखने का अभ्यास करना, -से भेंट न होना- अपढ़ होना, मुहा. -काला अक्षर भैंस बराबर- अक्षर ज्ञान न होना.              
अक्षरशः - अ. सं. एक-एक अक्षर, हर्फ़-ब-हर्फ़ उ., सोलहों आने, हू-ब-हू, यथावत, जैसे का तैसा.
अक्षरांग - पु. सं. लिपि, लेखन सामग्री, स्टेशनरी इं.
अक्षरा - स्त्री. सं. शब्द, भाषा, देखें अक्षर.
अक्षराक्षर - पु. सं. एक प्रकार की समाधि.
अक्षरारंभ - पु. सं. एक संस्कार कुल १६, पट्टी पूजन, पहले-पहल अक्षर ज्ञान कराना, विद्यारम्भ.
अक्षरार्थ - पु. सं. शब्दार्थ, संकुचित अर्थ.
अक्षरी - स्त्री. सं. वर्ष ऋतु, वर्तनी, हिज्जे, स्पेलिंग इं.
अक्षरौटी - स्त्री. सं. वर्णमाला, लिपि का ढंग, लिखने का तरीका, सितार पर बोल निकलने की क्रिया.
अक्षर्य - वि. सं. अक्षर संबंधी, पु. एक साम.
अक्षान्ति - स्त्री. सं. ईर्ष्या, अधीरता, असहिष्णुता.
अक्षांश - पु. सं. भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण का अंतर, पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु की भू केंद्र पर नापी गयी कोणीय दूरी, जबकि यह दूरी विषुवत रेखा से उत्तर या दक्षिण को ली जाती है. विषुवत रेखा पर स्थित सभी स्थलों का अक्षांश शून्य अंश / डिग्री है, ज्यों-ज्यों उत्तर या दक्षिण की ओर हटते हैं त्यों-त्यों अक्षां बढ़कर अंततः ध्रुवों पर ९० अंश हो जाता है.
अक्षाग्र - पु. सं. धुर, धुरे का छोर. -कील- स्त्री. / कीलन पु.- चक्र्रोध के लिये लगाई जानेवाली खूंटी, लट्ठे और जुए को जोड़नेवाली खूंटी.
अक्षार - वि. सं. क्षाररहित, -लवण- पु. खाररहित प्राकृतिक नमक, नमकरहित हविष्यान्न.
अक्षावाप - पु. सं. जारी. जुआ खेलनेवाला.
अक्षि - स्त्री. सं. आँख, २ / दो संख्या, -कंप- पु. पलक झपकाना, आँख मारना. -कूट / कूटक- पु. आँख की पुतली, नेत्र-गोलक. -गत- वि. दृष्ट, देखा हुआ, विद्यमान, द्वेष्य. -गोलक- आँख की पुतली. -तारक / तारा- आँख का तारा, लाड़ला, अति प्यारा, -निमेश- पु. पल, क्षण. -पक्ष्म / न- पु.बरौनी, भौंह. -पटल- पु. आँख का पर्दा, आँख की पुतली के पीछे की झिल्ली. -भू- वि. दृश्य, सत्य, यथार्थ. -भेषज- पट्टिकालोध्र, आँख पर पट्टी रखना / बाँधना. -लोम / न- पु. बरौनी, भौंह. -विकूणित / विकूशित / विक्षेप - पु. कटाक्ष, चितवन, तिरछी नजर उ., यथार्थ.
अक्षिक / अक्षीक - पु. सं. वृक्ष विशेष, रंजन वृक्ष.
अक्षित - वि. सं. जिसका क्षय न हुआ हो, न छीजने / कम होने / घटने वाला, जिसे चोट न लगी हो, पु. जल, दस लाख की संख्या, मिलियन इं., -वसु- पु. इंद्र, सहस्त्रलोचन.
अक्षितर - पु. सं. जल.
अक्षिब / अक्षिव - पु.. सं. देखें अक्षीब.
अक्षीण - वि. सं. क्षीण / नष्ट न होनेवाला, अनश्वर.
अक्षीब - पु. सं. सहिजन, समुद्र-लवण. वि. अमत्त.
अक्षीय - वि. अक्ष /धुरी संबंधी, एक्सिअल इं.
अक्षीव - पु. सं. देखें अक्षीब.
अक्षुण / akshunna - वि सं. अखंडित, अभग्न, अभंग, अन्यून, अपराजित, कुशल.  
अक्षुद्र - वि. सं. जो नीच / छोटा / तुच्छ न हो, पु. शिव.
अक्षुध्य - वि. सं. भूख नष्ट करने / मिटाने वाला, जिसे भूख न लगती हो.
अक्षुब्ध - वि. सं. क्षोभरहित, अनुत्तेजित, शांत.
अक्षेत्र - वि. सं. क्षेत्ररहित, कृषि के अयोग्य, अनुपजाऊ / परती / बंजर. पु. बुरी / ख़राब जमीन, ज्यामिती का अशुद्ध चित्र, मंदबुद्धि छात्र. -ज्ञ / विद- आध्यात्मिक ज्ञान से शून्य, जिसे शरीर की प्रकृति का ज्ञान न हो.
अक्षेत्री / त्रिन - वि. जिसके पास खेत / कृषि-भूमि न हो.
अक्षोट - पु. सं. पर्वतीय पीलू वृक्ष, अखरोट का पेड़.
अक्षोड / अक्षोडक - पु. सं. देखें अक्षोट.
अक्षोधुक - वि. सं. जो भूखा न हो.
अक्षोनि - स्त्री. देखें अक्षौहिणी.
अक्षोभ - पु. सं. क्षोभ / विकार का अभाव, शांति, हाथी बांधने का खूंटा. वि. शांत, धीर, अविचलित, शिव.
अक्षोभ्य - वि. सं. धीर, गंभीर, अशांत न होनेवाला, पु. वृद्ध, एक बड़ी संख्या, -कवच- पु. एक तंत्रोक्त कवच.
अक्षौहिणी - स्त्री. सं. चतुरंगिणी सेना का एक परिमाण या विभाग, (१.०९,३५० पैदल, ६५,६१० घोड़े, २१,८७० रथ और इतने ही हाथी).
अक्ष्ण - वि. सं. अखंड. पु. समय, काल.  
अक्स - पु. अ. परछाईं, छाया, चित्र, तस्वीर उ., फोटो इं., मुहा. -उतारना- हू-ब-हू नकल करना, जैसा का तैसा बनाना, फोटो खींचना. -छाना- रंग हल्का / फीका पड़ जाना / उतर जाना. -लेना- तस्वीर पर पतला झिल्ली कागज रखकर खाका उतारना.    
अक्सर - अ. देखें अकसर, प्रायः, बहुधा, एकाकी.
अक्सी -  वि. छाया संबंधी, अक्स के जरिये लिया जानेवाला चित्र, फोटोग्राफ. -तसवीर- स्त्री. फोटो, छायाचित्र.                                                                       -- क्रमशः 

सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : ११ अ से प्रारंभ शब्द : ११ --- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : ११     संजीव 'सलिल'

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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अ से प्रारंभ शब्द : ११ 

संजीव 'सलिल'
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अक्षण  - पु. सं. असामयिक.
अक्षणिक - पु. सं. स्थिर, दृढ़, जो क्षणिक न हो.
अक्षत - वि. सं. अखंडित, समूचा, क्षतहीन, जिसे चोट न आयी हो, जो घायल न हो. पु. शिव, अखंडित चावल, लावा, जाऊ, धान / धान्य, हैं का अभाव, कल्याण, हिंजड़ा. -योनि- वि. स्त्री. जिसका कौमाँर्य भंग न हुआ हो, अविवाहित / कुँवारी / कुमारी कन्या, -वीर्य- वि. पु. अच्युत वीर्य, ब्रम्हचारी, जिसका वीर्य स्खलन न हुआ हो, क्षयाभाव, शिव, नपुंसक.
अक्षता - स्त्री. सं. कुमारी, अक्षतयोनि, कर्कटश्रृंगी, काकड़ासिंगी.
अक्षत्र - वि. सं. क्षत्रियों / वीरों से रहित.
अक्षम  - वि. सं. क्षमा-रहित, असहिष्णु, ईर्ष्या करनेवाला, क्षमता-रहित, असमर्थ.
अक्षमा - स्त्री. सं. अधीरता, क्रोध, ईर्ष्या, असमर्थता.
अक्षम्य - वि. सं. क्षमा न करने योग्य.
अक्षय - वि. सं. क्षयरहित, अविनाशी, निर्धन, पु. परमात्मा. -गुण- पु., शिव. -तृतीया- स्त्री. वैशाख शुक्ल तृतीया. -धाम- पु. वैकुण्ठ, मोक्ष. -नवमी- स्त्री. कार्तिक शुक्ला नवमी. -नीवी- स्त्री. स्थाई दान / निधि बौ. -पद- पु. मोक्ष. -लोक- पु. स्वर्ग. -वट / वृक्ष- पु. प्रयाग और गया के वट वृक्ष विशेष जो प्रलय में भी नष्ट नहीं होते.