शारद वंदना
पद
(यौगिक जातीय सार छंद)
*
शारद सुर-ध्वनि कंठ सजावै।
स्वर व्यंजन अक्षर लिपि भाषा, पल-पल माई सिखावै।।
कलकल कलरव लोरी भगतें, भजन आरती गावै।
कजरी बम्बुलिया चौकड़िया, आल्हा राई सुनावै।।
सोहर बन्ना बन्नी गारी, रास बधावा भावै।
सुख में दुख में संबल बन कें, अँगुरी पकरि चलावै।।
रसानंद दै मैया मोरी, ब्रह्मानंद लुटावै।
भवसागर की भीति मिटा खें, नैया पार लगावै।।
*
१४-६-२०२०
पद
(यौगिक जातीय सार छंद)
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शारद सुर-ध्वनि कंठ सजावै।
स्वर व्यंजन अक्षर लिपि भाषा, पल-पल माई सिखावै।।
कलकल कलरव लोरी भगतें, भजन आरती गावै।
कजरी बम्बुलिया चौकड़िया, आल्हा राई सुनावै।।
सोहर बन्ना बन्नी गारी, रास बधावा भावै।
सुख में दुख में संबल बन कें, अँगुरी पकरि चलावै।।
रसानंद दै मैया मोरी, ब्रह्मानंद लुटावै।
भवसागर की भीति मिटा खें, नैया पार लगावै।।
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१४-६-२०२०