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शुक्रवार, 28 अगस्त 2009

क्या विचार हैं आपके ???????

हिन्दी में कवितायें खूब लिखी जा रही है ,जिन्हें काव्य के रचना शास्त्र का ज्ञान नही है वे भी निराला जी के रबड़ छंदो मे लिख कर स्वनाम धन्य कवि हैं ..अपनी पूंजी लगाकर पुस्तके भी छपवा कर ..विजिटिग कार्ड की तरह बांट रहे है ..जुगाड़ टेक्नालाजी के चलते सम्मानित भी हो रहे है ...पर नाटक नही लिखे जा रहे ...उपन्यास नही लिखे जा रहे .. आलोचना का कार्य विश्वविद्यालयो के परिसर तक सीमित हो गया है ..शोध प्रबंध ही हिन्दी का गंभीर लेखन बनता जा रहा है ... लघुकथा को , मुक्तक को गंभीर साहित्य नही माना जाता .. इस सब पर क्या विचार हैं आपके ???????..........vivek ranjan shrivastava , jabalpur