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शनिवार, 9 मई 2009

कविता: ईश्वर हमारे कितने करीब -डॉ. अनूप निगम, उज्जैन


मंदिर में
सलाखों के बीच
इंसानी फितरत से
भगवान कैद में है.
उसी भगवान से मिलने को
उसकी एक झलक पाने को
इंसानों का समूह बेचैन है.
घने ऊंचे पदों में,
पक्षियों के मधुर कोलाहल के बीच
शांत-सौम्य बहती नदी के साथ
ईशवर स्वतंत्र, स्वच्छंद, जीवंत है.
इन्हें बहुत तेजी से
ख़त्म करता हुआ
नासमझ इन्सान
अपने ही ईश्वर से
दूर रहने को अभिशप्त है..
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