भोजपुरी हाइकु:
संजीव
*
आपन बोली
आ ओकर सुभाव
मैया क लोरी.
*
खूबी-खामी के
कवनो लोकभासा
पहचानल.
*
तिरिया जन्म
दमन आ शोषण
चक्की पिसात.
*
बामनवाद
कुक्कुरन के राज
खोखलापन.
*
छटपटात
अउरत-दलित
सदियन से.
*
राग अलापे
हरियल दूब प
मन-माफिक.
*
गहरी जड़
देहात के जीवन
मोह-ममता.
*
टीप: भोजपुरी पर अधिकार न होने पर भी लेखन का प्रयास किया है. त्रुटियाँ इंगित करने पर सुधार सकूँगा.
रवि किरणें क्षितिजा करें, धरती से तम दूर.
बोली मन का तम हरे, खुशियाँ दे भरपूर..
संजीव
*
आपन बोली
आ ओकर सुभाव
मैया क लोरी.
*
खूबी-खामी के
कवनो लोकभासा
पहचानल.
*
तिरिया जन्म
दमन आ शोषण
चक्की पिसात.
*
बामनवाद
कुक्कुरन के राज
खोखलापन.
*
छटपटात
अउरत-दलित
सदियन से.
*
राग अलापे
हरियल दूब प
मन-माफिक.
*
गहरी जड़
देहात के जीवन
मोह-ममता.
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टीप: भोजपुरी पर अधिकार न होने पर भी लेखन का प्रयास किया है. त्रुटियाँ इंगित करने पर सुधार सकूँगा.
रवि किरणें क्षितिजा करें, धरती से तम दूर.
बोली मन का तम हरे, खुशियाँ दे भरपूर..