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रविवार, 26 मई 2013

Haiku in Bhojpuri sanjiv

भोजपुरी हाइकु:
संजीव
*
आपन बोली
आ ओकर सुभाव
मैया क लोरी.
*
खूबी-खामी के
कवनो लोकभासा
पहचानल.
*
तिरिया जन्म
दमन आ शोषण
चक्की पिसात.
*
बामनवाद
कुक्कुरन के राज
खोखलापन.
*
छटपटात
अउरत-दलित
सदियन से.
*
राग अलापे
हरियल दूब प
मन-माफिक.
*
गहरी जड़
देहात के जीवन
मोह-ममता.
*
टीप: भोजपुरी पर अधिकार न होने पर भी लेखन का प्रयास किया है. त्रुटियाँ इंगित करने पर सुधार सकूँगा.
रवि किरणें क्षितिजा करें, धरती से तम दूर.
बोली मन का तम हरे, खुशियाँ दे भरपूर..