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मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

दोहा / द्विपदी

द्विपदी 
*
सबको एक नजर से कैसे देखूँ ?
आँखें भगवान् ने दो-दो दी हैं 

*
उनको एक नजर से ज्योंही देखा 
आँख मारी? कहा और पीट दिया 
*

दोहा

अपनी छवि पर मुग्ध हो, सैल्फी लेते लोग 
लगा दिया चलभाष ने, आत्म मोह का रोग
*

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

muktak

मुक्तक
ढाले- दिल को छेदकर तीरे-नज़र जब चुभ गयी,
सांस तो चलती रही पर ज़िन्दगी ही रुक गयी।
तरकशे-अरमान में शर-हौसले भी कम न थे -
मिल गयी ज्यों ही नज़र से नज़र त्यों ही झुक गयी।।
*
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salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
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