कुल पेज दृश्य

vasudha लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
vasudha लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

दोहा रवि वसुधा का ब्याह

दोहा सलिला;
रवि-वसुधा के ब्याह में...
संजीव 'सलिल'
*
रवि-वसुधा के ब्याह में, लाया नभ सौगात.
'सदा सुहागन' तुम रहो, ]मगरमस्त' अहिवात..
सूर्य-धरा को समय से, मिला चन्द्र सा पूत.
सुतवधु शुभ्रा 'चाँदनी', पुष्पित पुष्प अकूत..
इठला देवर बेल से बोली:, 'रोटी बेल'.
देवर बोला खीझकर:, 'दे वर, और न खेल'..
'दूधमोगरा' पड़ोसी, हँसे देख तकरार.
'सीताफल' लाकर कहे:, 'मिल खा बाँटो प्यार'..
भोले भोले हैं नहीं, लीला करे अनूप.
बौरा गौरा को रहे, बौरा 'आम' अरूप..
मधु न मेह मधुमेह से, बच कह 'नीबू-नीम'.
जा मुनमुन को दे रहे, 'जामुन' बने हकीम..
हँसे पपीता देखकर, जग-जीवन के रंग.
सफल साधना दे सुफल, सुख दे सदा अनंग..
हुलसी 'तुलसी' मंजरित, मुकुलित गाये गीत.
'चंपा' से गुपचुप करे, मौन 'चमेली' प्रीत..
'पीपल' पी पल-पल रहा, उन्मन आँखों जाम.
'जाम' 'जुही' का कर पकड़, कहे: 'आइये वाम'..
बरगद बब्बा देखते, सूना पनघट मौन.
अमराई-चौपाल ले, आये राई-नौन..
कहा लगाकर कहकहा, गाओ मेघ मल्हार.
जल गगरी पलटा रहा, नभ में मेघ कहार..
*
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#हिंदी_ब्लॉगर

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

दोहा सलिला: रवि-वसुधा के ब्याह में... -- संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
रवि-वसुधा के ब्याह में...
संजीव 'सलिल'
*
रवि-वसुधा के ब्याह में, लाया नभ सौगात.
'सदा सुहागन' तुम रहो, ]मगरमस्त' अहिवात..

सूर्य-धरा को समय से, मिला चन्द्र सा पूत.
सुतवधु शुभ्रा 'चाँदनी', पुष्पित पुष्प अकूत..

इठला देवर बेल से बोली:, 'रोटी बेल'.
देवर बोला खीझकर:, 'दे वर, और न खेल'..

'दूधमोगरा' पड़ोसी,  हँसे देख तकरार.
'सीताफल' लाकर कहे:, 'मिल खा बाँटो प्यार'..

भोले भोले हैं नहीं, लीला करे अनूप.
बौरा गौरा को रहे, बौरा 'आम' अरूप..

मधु न मेह मधुमेह से, बच कह 'नीबू-नीम'.
जा मुनमुन को दे रहे, 'जामुन' बने हकीम..

हँसे पपीता देखकर, जग-जीवन के रंग.
सफल साधना दे सुफल, सुख दे सदा अनंग..

हुलसी 'तुलसी' मंजरित, मुकुलित गाये गीत.
'चंपा' से गुपचुप करे, मौन 'चमेली' प्रीत..

'पीपल' पी पल-पल रहा, उन्मन आँखों जाम.
'जाम' 'जुही' का कर पकड़, कहे: 'आइये वाम'..

बरगद बब्बा देखते, सूना पनघट मौन.
अमराई-चौपाल ले, आये राई-नौन..

कहा लगाकर कहकहा, गाओ मेघ मल्हार.
जल गगरी पलटा रहा, नभ में मेघ कहार..
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

दोहा सलिला: देख दुर्दशा देश की -- संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:

देख दुर्दशा देश की

संजीव 'सलिल'
*
देख दुर्दशा देश की, चले गये जो दूर.
उनसे केवल यह कहूँ, आँखें रहते सूर..

देश छोड़ वे भी गये, जिन्हें प्रगति की चाह.
वाह मिली उनको बहुत, फिर भी भरते आह..

वसुधा जिन्हें कुटुंब है, दुनिया जिनका नीड़.
वे ही मानव रत्न हैं, बाकी केवल भीड़..

बसे देश में जो 'सलिल', चाह रहे बदलाव.
सच्चे मानव हैं वही, जो तजते अलगाव..

सिर्फ देश को कोसते, करते नहीं सुधार.
उन कापुरुषों की करें, चर्चा क्यों बेकार?

जो कमियों को खोजकर, चाहें कर लें दूर.
ऐसों का संग दीजिये, कहीं रहें भरपूर..

नहीं यहाँ सब कुछ बुरा, नहीं वहाँ सब श्रेष्ठ.
श्रेष्ठ यहाँ भी है बहुत, बहुत वहाँ है नेष्ट..

धूप-छाँव, सुख-दुःख सदृश, भले-बुरे का मेल.
है दुनिया में सब जगह, हार-जीत का खेल..

दर्शन मत कर दूर से, तनिक निकट आ मीत.
माटी को चंदन समझ, तभी बढ़ेगी प्रीत..

गर्व न करना दृष्टि पर, देखे आधा सत्य.
जिसे न देखे कह रही, उसको व्यर्थ असत्य..

देश गर्त में देखकर मिलती जिसको शांति.
वह केवल दिग्भ्रमित है, मन में पले भ्रान्ति..

जैसा भी है देश यह, है मेरा भगवान.
इसकी खातिर जी-मरूँ, शेष यही अरमान..

त्रुटियों की चर्चा करूँ, लेकर मन में आस.
बेहतर से बेहतर बने, देश- यही अहसास..

******************

बुधवार, 11 अगस्त 2010

दोहा सलिला : संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला :

संजीव 'सलिल'
*
sun-for-web.gif



*
सूर्य कृष्ण दो गोपियाँ, ऊषा-संध्या नाम.
एक कराती काम औ', दूजी दे आराम.

sun2.gif_320_320_256_9223372036854775000_0_1_0.gif



छाया-पीछे दौड़ता, सूरज सके न थाम.
यह आया तो वह गयी, हुआ विधाता वाम.

sun.jpg


मन सूरज का मोहता, है वसुधा का रूप.
याचक बनकर घूमता, नित त्रिभुवन का भूप..

stylish_sun5.jpg


आता खाली हाथ है, जाता खाली हाथ.
दिन भर बाँटे उजाला, पर न झुकाए माथ..

sun.gif



देख मनुज की हरकतें, सूरज करता क्रोध.
कब त्यागेगा स्वार्थ यह?, कब जागेगा बोध..

1sun3.jpg



निलज मनुज को देखकर, करे धुंध की आड़.
बनी रहे मर्याद की, कभी न टूटे बाड़..

sun_shine.jpg


पाप मनुज के बढ़ाते, जब धरती का ताप.
रवि बरसाता अश्रु तब, वर्षा कहते आप..

33808-Clipart-Illustration-Of-A-Black-And-White-Outline-Of-A-Cool-Sun-Character-Wearing-Shades-And-Smiling.jpg


सूर्य घूमता केंद्र पर, होता निकट न दूर.
चंचल धरती नाचती, ज्यों सुर-पुर में हूर..

21%20Sun%20and%20Beach%20Picture.jpg


दाह-ताप दे पाप औ', अकर्मण्यता शीत.
दुःख हरकर सुख दे 'सलिल', 'विधि-हरि-हर' से प्रीत..

*************
विधि-हरि-हर = ब्रम्हा-विष्णु-महेश.
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com