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शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

SHRI GANESH AWAHN: UDYABHANU TIWARI 'MADHUKAR'

श्री गणेश आवाहन :


डॉ. उदयभानु तिवारी 'मधुकर'
आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी /
मित्रो! वन्दनवार बनाओ /

बुद्धि निधान भक्त चित चन्दन 
विघ्न  विनाशन गिरिजा नंदन 
द्वार   खड़े  सब   करलो    वंदन 
पुष्प   चढाय  करो अभिनन्दन 
घी   के    दीप    जलाओ,मित्रो !सुमन माल ले आओ  //
आये गजानन -----------//१//

मूसक  वाहन   अद्भुत  भ्राजे   
चतुर्भुजी   भगवान   विराजे
ऋद्धि सिद्धि दोउ सँग में राजे
झांझर , शंख  बजाओ  बाजे
मोदक,फल ले आओ ,मित्रो !आरति थार सजाओ /
आये गजानन -----------//२//

ये  अंधों  के  नयन  प्रदाता 
बाँझन के हैं  प्रभु सुत दाता   
देव ,मनुज के बुद्धि विधाता
इन्हें प्रथम  ही  पूजा जाता 
एक दन्त गुण  गाओ,प्रभु को आसान पर ले आओ /
आये गजानन ------------//३//

जय  लम्बोदर   भव  दुखहारी 
हम सब  हैं प्रभु शरण तुम्हारी 
जय जय जय संतन हितकारी   
सुनिए गणपति विनय हमारी   
आसन पर आजाओ ,गणपति विमल छटा छिटकाओ /
आये गजानन -----------//४//

कर तन,मन,धन तुम्हें समपर्ण
पत्र  , पुष्प , फल  करके अर्पण  
''मधुकर''जन गण करते अर्चन 
 प्रभु   कीजै   निर्मल   अंतर्मन
कृपा दृष्टि बरसाओ ,मित्रो !सब मिल आरति गाओ /
आये गजानन ----------//५//
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रविवार, 10 मार्च 2013

shiv bhajan: yamuna prasad chaturvedi, shanti devi, satish chandr verma, madhukar

महा शिव रात्रि पर विशेष :

शिव वन्दना

यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

*
जय जयति जगदाधार जगपति जय महेश नमामिते
वाहन वृषभ वर सिद्धि दायक विश्वनाथ उमापते
सिर गंग भव्य भुजंग भूसन भस्म अंग सुसोभिते
सुर जपति शिव, शशि धर कपाली, भूत पति शरणागते

जय जयति गौरीनाथ जय काशीश जय कामेश्वरम
कैलाशपति, जोगीश, जय भोगीश, वपु गोपेश्वरम
जय नील लोहित गरल-गर-हर-हर विभो विश्वंभरम
रस रास रति रमणीय रंजित नवल नृत्यति नटवरम

तत्तत्त ताता ता तताता थे इ तत्ता ताण्डवम
कर बजत डमरू डिमक-डिम-डिम गूंज मृदु गुंजित भवम
बम-बम बदत वेताल भूत पिशाच भूधर भैरवम
जय जयति खेचर यक्ष किन्नर नित्य नव गुण गौरवम

जय प्रणति जन पूरण मनोरथ करत मन महि रंजने
अघ मूरि हारी धूरि जटि तुम त्रिपुर अरि-दल गंजने
जय शूल पाणि पिनाक धर कंदर्प दर्प विमोचने
'प्रीतम' परसि पद होइ पावन हरहु कष्ट त्रिलोचने
*
शिव भजन :
गिरिजा कर सोलह सिंगार
स्व. शान्ति देवी वर्मा
*
गिरिजा कर सोलह सिंगार
चलीं शिव शंकर हृदय लुभांय...
*
मांग में सेंदुर, भाल पे बिंदी,
नैनन कजरा लगाय.
वेणी गूंथी मोतियन के संग,
चंपा-चमेली महकाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
*
बांह बाजूबंद, हाथ में कंगन,
नौलखा हार सुहाय.
कानन झुमका, नाक नथनिया,
बेसर हीरा भाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
*
कमर करधनी, पाँव पैजनिया,
घुँघरू रतन जडाय.
बिछिया में मणि, मुंदरी मुक्ता,
चलीं ठुमुक बल खांय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
*
लंहगा लाल, चुनरिया पीली,
गोटी-जरी लगाय.
ओढे चदरिया पञ्च रंग की ,
शोभा बरनि न जाय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
*
गज गामिनी हौले पग धरती,
मन ही मन मुसकाय.
नत नैनों मधुरिम बैनों से
अनकहनी कह जांय.
गिरिजा कर सोलह सिंगार...
**********
शिव भजन
नमामि शंकर
-सतीश चन्द्र वर्मा, भोपाल
*
नमामि शंकर, नमामि शंकर...
बदन में भस्मी, गले में विषधर.
नमामि शंकर, नमामि शंकर...
*
जटा से गंगा की धार निकली.
विराजे मस्तक पे चाँद टिकली.
सदा विचरते बने दिगंबर,
नमामि शंकर, नमामि शंकर...
*
तुम्हारे मंदिर में नित्य आऊँ.
तुम्हारी महिमा के गीत गाऊँ.
चढ़ाऊँ चंदन तुम्हें मैं घिसकर,
नमामि शंकर,नमामि शंकर...
*
तुम्हीं हमारे हो एक स्वामी.
कहाँ हो आओ, हे विश्वगामी!
हरो हमारी व्यथा को आकर,
नमामि शंकर,नमामि शंकर...
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शिवस्तोत्रं
- उदयभानु तिवारी 'मधुकर'
*
शिव अनंत शक्ति विश्व दीप्ति सत्य सुंदरम्.
प्रसीद मे प्रभो अनादिदेव जीवितेश्वरम्.
*
नमो-नमो सदाशिवं पिनाकपाणि शंकरं.
केशमध्य जान्हवी झरर्झरति सुनिर्झरं.
भालचंद्र अद्भुतं भुजंगमाल शोभितं.
नमोस्तु ब्रह्मरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.१.
*
करालकालकंटकं कृपालु सुर मुनीन्द्रकं.
ललाटअक्षधारकं प्रभो! त्रिलोकनायकं.
परं तपं शिवं शुभं निरंक नित्य चिन्तनं.
नमोस्तु विश्वरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.२.
*
महाश्वनं मृड़ोनटं त्रिशूलधर अरिंदमं.
महायशं जलेश्वरं वसुश्रवा धनागमं.
निरामयं निरंजनं महाधनं सनातनं.
नमोस्तु वेदरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.३.
*
कनकप्रभं दुराधरं सुराधिदेव अव्ययं.
परावरं प्रभंजनं वरेण्यछिन्नसंशयं.
अमृतपं अजितप्रियं उन्नघ्रमद्रयालयं.
नमोस्तु नीलरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.४.
*
परात्परं प्रभाकरं तमोहरं त्र्यम्बकं.
महाधिपं निरान्तकं स्तव्य कीर्तिभूषणं.
अनामयं मनोजवं चतुर्भुजं त्रिलोचनं.
नमोस्तु सोमरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.५.
*
स्तुत्य आम्नाय शम्भु शम्बरं परंशुभं.
महाहदं पदाम्बुजं रति: प्रतिक्षणं  मम.
विद्वतं विरोचनं परावरज्ञ सिद्धिदं.
नमोस्तु सौम्यरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.६.
*
आत्मभू: शाश्वतं नमोगतिं जगद्गुरुं.
अलभ्य भक्ति देहि मे करोतु प्रभु परं सुखं.
सुरेश्वरं महेश्वरं गणेश्वरं धनेश्वरं.
नमोस्तु सूक्ष्मरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.७.
*
शिवस्य नाम अमृतं 'उदय' त्रितापनाशनं.
करोतु जाप मे मनं नमो नमः शिवः शिवं.
मोक्षदं महामहेश ओंकार त्वं स्वयं.
नमोस्तु रूद्ररूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.७.
*
पूजनं न अर्चनं न शक्ति-भक्ति साधनं.
जपं न योग आसनं न वन्दनं उपासनं
मनगुनंत प्रतिक्षणं शिवं शिवं शिवं शिवं. 
नमोस्तु शांतिरूप ज्ञानगम्य भूतभावनं.९.

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