कुल पेज दृश्य

tum par लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
tum par लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

navgeet

नवगीत:
तुम पर
*
तुम पर
खुद से अधिक भरोसा
मुझे रहा है।
*
बिना तुम्हारे
चल, गिर, उठ, बढ़
तुम तक आया।
कदम-कदम बढ़
जगह बना निज
तुमको लाया।
खुद को किया
समर्पित हँस, फिर
तुमको पाया।
खाली हाथ बढ़ाया
तेरा हाथ गहा है।
*
तन-मन-धन
कर तुझे समर्पित
रीत गया हूँ।
अदल-बदल दिल
हार मान कर
जीत गया हूँ।
आज-आज कर
पता यह चला
बीत गया हूँ।
ढाई आखर
की चादर को
मौन तहा है।
*
तुम पर
खुद से अधिक भरोसा
मुझे रहा है।
*