कुल पेज दृश्य

sohan chidiya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
sohan chidiya लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 25 जुलाई 2011

बाल कविता: चूजे भाई! -- संजीव 'सलिल'

बाल कविता:                                                               
चूजे भाई! 
संजीव 'सलिल'
*

कितने अच्छे लगते हो तुम |
बिना जगाये जगते हो तुम ||

नहीं किसी को ठगते हो तुम |

सदा प्रेम में पगते हो तुम || 

दाना-चुग्गा मंगते हो तुम |
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||

आलस कैसे तजते हो तुम?

क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?
चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |
बिल्ली से डर बचते हो तुम ||

क्या माला भी जपते हो तुम?

शीत लगे तो कँपते हो तुम?

सुना न मैंने, हँसते  हो तुम?

चूजे भाई! रुचते हो तुम | 

********************* 
टिप्पणी: यह रचना चौपाई छंद में है. हर पंक्ति में १६ मात्राएँ हैं.  पहली २ तथा बाद में हर दूसरी पंक्ति का अंत 'ते हो तुम' से हुआ है, ऐसी कविता को मुक्तिका या ग़ज़ल कहते हैं. साधारणतः चौपाई में चार चरण, दो पंक्तियाँ होती हैं और वह किसी विषय पर केन्द्रित नहीं होती, यहाँ 'चूजे' को केंद्र में रखकर लिखी गयी चौपाइयाँ हैं. पढ़ो और आनंद लो. किसी जानकर से पूछना कि पदांत-तुकांत (काफिया-रदीफ़) क्या है.

रविवार, 7 मार्च 2010

बाल गीत: सोन चिरैया ---संजीव वर्मा 'सलिल'



सोनचिरैया फुर-फुर-फुर,      
उड़ती फिरती इधर-उधर.      
थकती नहीं, नहीं रूकती.     
रहे भागती दिन-दिन भर.    

रोज सवेरे उड़ जाती.         
दाने चुनकर ले आती.        
गर्मी-वर्षा-ठण्ड सहे,          
लेकिन हरदम मुस्काती.    

बच्चों के सँग गाती है,      
तनिक नहीं पछताती है.    
तिनका-तिनका जोड़ रही,  
घर को स्वर्ग बनाती है.     

बबलू भाग रहा पीछे,       
पकडूँ  जो आए नीचे.       
घात लगाये है बिल्ली,      
सजग मगर आँखें मीचे.   

सोन चिरैया खेल रही.
धूप-छाँव हँस झेल रही.
पार करे उड़कर नदिया,
नाव न लेकिन ठेल रही.

डाल-डाल पर झूल रही,
मन ही मन में फूल रही.
लड़ती नहीं किसी से यह,
खूब खेलती धूल रही. 

गाना गाती है अक्सर,
जब भी पाती है अवसर.
'सलिल'-धार में नहा रही,
सोनचिरैया फुर-फुर-फुर. 

* * * * * * * * * * * * * *                                                              
= यह बालगीत सामान्य से अधिक लम्बा है. ४-४ पंक्तियों के ७ पद हैं. हर पंक्ति में १४ मात्राएँ हैं. हर पद में पहली, दूसरी तथा चौथी पंक्ति की तुक मिल रही है.
चिप्पियाँ / labels : सोन चिरैया, सोहन चिड़िया, तिलोर, हुकना, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', great indian bustard, son chiraiya, sohan chidiya, hukna, tilor, indian birds, acharya sanjiv 'salil'