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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

एक चैट चर्चा: चर्चाकार : संजय भास्कर-संजीव 'सलिल'

एक चैट चर्चा:
चर्चाकार : संजय भास्कर-संजीव 'सलिल'

Sanjay: ram ram ji
 5:52 PM बजे बुधवार को प्रेषित
Sanjay: NAMASKAR JI
मैं: nmn nayee rachnayen dekheen kya?
Sanjay: RAAT KO FURSAT SE DEKHUNGA..............
AAP YE DEKHEN CHOTI SI RACHNAAA
जारी है अभी
सिलसिला
सरहदों पर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2010/04/blog-post_28.html
 6:22 PM बजे बुधवार को प्रेषित


मैं: हद सर करती है हमें
हद को कैसे सर करें
कोई यह बतलाये?
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com


 6:26 PM बजे बुधवार को प्रेषित
मैं: रमे रमा में सब मिले, राम न चाहे कोई
'सलिल' राम की चाह में काम बिसर गयो मोई


Sanjay: ARE WAHHHHHHHH
 6:29 PM बजे बुधवार को प्रेषित

मैं: राम नाम की चाह में, चाह राम की नांय.
काम राम की आड़ में, संतों को भटकाय..

Sanjay: AAP TO GURU HO
 6:33 PM बजे बुधवार को प्रेषित

मैं: है सराह में, वाह में, आह छिपी- यह देख.
चाह कहाँ कितनी रही, करले इसका लेख..

 6:36 PM बजे बुधवार को प्रेषित
Sanjay: nice


मैं: गुरु कहना तो ठीक है, कहें न गुरु घंटाल.
वरना भास्कर 'सलिल' में, डूब दिखेगा लाल..

Sanjay: KYA BAAT HAI LAJWAAB
 6:39 PM बजे बुधवार को प्रेषित

मैं: लाजवाब में भी मिला, मुझको छिपा जवाब.
जैसे काँटे छिपाए, सुन्दर लगे गुलाब..

Sanjay: BHASKAR TO DOBEGA ही

मैं: डूबेगा तो उगेगा, भास्कर ले नव भोर.
पंछी कलरव करेंगे, मनुज करेंगे शोर..


Sanjay: EK SE BADH KAR EK
 6:41 PM बजे बुधवार को प्रेषित

मैं: एक-एक से बढ़ चलें, पग लें मंजिल जीत.
बाधा माने हार जग, गाये जय के गीत..


Sanjay: ......... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

मैं: कौन कहाँ प्रस्तुत हुआ?, और अप्रस्तुत कौन?
जब भी पूछा प्रश्न यह, उत्तर पाया मौन..
 6:46 PM बजे बुधवार को प्रेषित
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