कुल पेज दृश्य

nvgeet लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
nvgeet लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 23 नवंबर 2009

नव गीत: घर को 'सलिल' मकान मत कहो... --संजीव 'सलिल'

नव गीत

संजीव 'सलिल'

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...
*
कंकर में
शंकर बसता है
देख सको तो देखो.

कण-कण में
ब्रम्हांड समाया
सोच-समझ कर लेखो.

जो अजान है
उसको तुम
बेजान मत कहो.

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...
*
*
भवन, भावना से
सम्प्राणित
होते जानो.

हर कमरे-
कोने को
देख-भाल पहचानो.

जो आश्रय देता
है देव-स्थान
नत रहो.

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...
*
घर के प्रति
श्रद्धानत हो
तब खेलो-डोलो.

घर के
कानों में स्वर
प्रीति-प्यार के घोलो.

घर को
गर्व कहो लेकिन
अभिमान मत कहो.

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...
*
स्वार्थों का
टकराव देखकर
घर रोता है.

संतति का
भटकाव देख
धीरज खोता है.

नवता का
आगमन, पुरा-प्रस्थान
मत कहो.

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...
*
घर भी
श्वासें लेता
आसों को जीता है.

तुम हारे तो
घर दुःख के
आँसू पीता है.

जयी देख घर
हँसता, मैं अनजान
मत कहो.

घर को 'सलिल'
मकान मत कहो...

सोमवार, 14 सितंबर 2009

नवगीत: संजीव 'सलिल'

नवगीत:

संजीव 'सलिल'

अपना हर पल
है हिन्दीमय
एक दिवस
क्या खाक मनाएँ?

बोलें-लिखें
नित्य अंग्रेजी
जो वे
एक दिवस जय गाएँ...

निज भाषा को
कहते पिछडी.
पर भाषा
उन्नत बतलाते.

घरवाली से
आँख फेरकर
देख पडोसन को
ललचाते.

ऐसों की
जमात में बोलो,
हम कैसे
शामिल हो जाएँ?...

हिंदी है
दासों की बोली,
अंग्रेजी शासक
की भाषा.

जिसकी ऐसी
गलत सोच है,
उससे क्या
पालें हम आशा?

इन जयचंदों
की खातिर
हिंदीसुत
पृथ्वीराज बन जाएँ...

ध्वनिविज्ञान-
नियम हिंदी के
शब्द-शब्द में
माने जाते.

कुछ लिख,
कुछ का कुछ पढने की
रीत न हम
हिंदी में पाते.

वैज्ञानिक लिपि,
उच्चारण भी
शब्द-अर्थ में
साम्य बताएँ...

अलंकार,
रस, छंद बिम्ब,
शक्तियाँ शब्द की
बिम्ब अनूठे.

नहीं किसी
भाषा में मिलते,
दावे करलें
चाहे झूठे.

देश-विदेशों में
हिन्दीभाषी
दिन-प्रतिदिन
बढ़ते जाएँ...

अन्तरिक्ष में
संप्रेषण की
भाषा हिंदी
सबसे उत्तम.

सूक्ष्म और
विस्तृत वर्णन में
हिंदी है
सर्वाधिक
सक्षम.

हिंदी भावी
जग-वाणी है
निज आत्मा में
'सलिल' बसाएँ...

********************
-दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम