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बुधवार, 2 दिसंबर 2015

laghukatha

लघुकथा:
निर्माण
*
जनप्रतिनिधि महोदय के ३-४ सन्देश मिले तो कोई काम न होते हुए भी मिलना आवश्यक प्रतीत हुआ।
कहिये क्या चल रहा है? कार्यों की प्रगति कैसी है? पूछा गया। जिलाध्यक्ष कार्यालय में बैठक में जानकारी दी थी मैंने बताया। महोदय ने कहा आपके संभाग में इतनी योजनाओं के लिए इतने करोड़ रुपये स्वीकृत कराये हैं, आपको समझना चाहिए, मिलना चाहिए। मेरे समर्थन के बिना कोई मेरे क्षेत्र में नहीं रह सकता। मेरे कारण ही आपको कोई तकलीफ नहीं हुई जबकि लोग कितनी शिकायतें करते हैं।
मैंने धन्यवाद दे निवेदन किया कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता देखना मेरा कार्य है, इससे जुडी कोई शिकायत हो तो बतायें अथवा मेरे साथ भ्रमण कर स्वयं कार्य देख लें। विभाग के सर्वोच्च अधिकारी तथा जाँच अधिकारी कार्यों की प्रगति तथा गुणवत्ता से संतुष्ट हैं। केंद्र और राज्य की योजनाओं में उपलब्ध राशि के लिए सर्वाधिक प्रस्ताव भेजे और स्वीकृत कराये गये हैं, कार्यालय में किसी ठेकेदार की कोई निविदा या देयक लंबित नहीं है। पारिवारिक स्थितियों के कारण मैं कार्यालय संलग्न रहना चाहता हूँ।
काम तो आपका ठीक है। भोपाल में भी आपके काम की तारीफ सुनी है पर हम लोगों का भी आपको ध्यान रखना चाहिए, वे बोले।
मैंने निवेदन किया कि आपका सहयोग इसी तरह कर सकता हूँ कि कार्य उत्तम और समय पर हों, शासन की छवि उज्जवल हो तो चुनाव के समय प्रतिनिधि को ही लाभ होगा।
वह तो जब होगा तब होगा, कौन जानता है कि टिकिट किसे मिलेगा? आप तो बताएं कि अभी क्या मदद कर सकते हैं?
मेरे यह कहते ही कि समय पर अच्छे से अच्छा निर्माण ही मेरी ऒर से मदद है, बोले मेरे बच्चे तो नहीं जायेंगे कभी सरकारी स्कूल-कॉलेज में फिर क्या लाभ मुझे ऐसे निर्माण से? आपको हटाना ही पड़ेगा।
मैं अभिवादन कर चला आया।
*** 

रविवार, 16 मई 2010

नवगीत: निर्माणों के गीत गुँजायें...... --संजीव वर्मा 'सलिल'















नवगीत:

निर्माणों के गीत गुँजायें...

संजीव वर्मा 'सलिल'
*













निर्माणों के गीत गुँजायें...
*
मतभेदों के गड्ढें पाटें,
सद्भावों की सड़क बनायें.
बाधाओं के टीले खोदें,
कोशिश-मिट्टी-सतह बिछायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*














निष्ठां की गेंती-कुदाल लें,
लगन-फावड़ा-तसला लायें.
बढ़ें हाथ से हाथ मिलाकर-
कदम-कदम पथ सुदृढ़ बनायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*



















विश्वास-इमल्शन को सींचें,
आस गिट्टियाँ दबा-बिछायें.
गिट्टी-चूरा-रेत छिद्र में-
भर धुम्मस से खूब कुटायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*














है अतीत का लोड बहुत सा,
सतहें सम कर नींव बनायें.
पेवर माल बिछाये एक सा-
पंजा बारम्बार चलायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*














मतभेदों की सतह खुरदुरी,
मन-भेदों का रूप न पायें.
वाइब्रेशन-कोम्पैक्शन दें-
रोलर से मजबूत बनायें.
दूरियाँ दूरकर एक्य बढ़ायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*














राष्ट्र-प्रेम का डामल डालें-
प्रगति-पन्थ पर रथ दौड़ायें.
जनगण देखे स्वप्न सुनहरे,
कर साकार, बमुलियाँ गायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*














श्रम-सीकर का अमिय पान कर,
पग को मंजिल तक ले जाएँ.
बनें नींव के पत्थर हँसकर-
काँधे पर ध्वज-कलश उठायें.
निर्माणों के गीत गुँजायें...
*















टिप्पणी: इमल्शन =  सड़क  निर्माण के पूर्व मिट्टी-गिट्टी की पकड़ बनाने के लिये डामल-पानी का तरल मिश्रण, पेवर = डामल-गिट्टी का मिश्रण समान मोती में बिछानेवाला यंत्र, पंजा = लोहे के मोटे तारों का पंजा आकार, गिट्टियों को खींचकर गड्ढों में भरने के लिये उपयोगी, वाइब्रेटरी रोलर से उत्पन्न कंपन तथा स्टेटिक रोलर से बना दबाव गिट्टी-डामल के मिश्रण को एकसार कर पर्त को ठोस बनाते हैं, बमुलिया = नर्मदा अंचल का लोकगीत, 













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