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रविवार, 5 अक्टूबर 2014

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नेह दीप


नेह दीप, नेह शिखा, नेह है उजाला
नेह आस, नेह प्यास,साधना-शिवाला 

नेह  गेह, गाँव, राष्ट्र, विश्व, सृष्टि-समाज 
नेह कल था, नेह कल है, नेह ही है आज 

नेह अजर, नेह अमर, नेह है अनश्वर
नेह धरा, नेह गगन, नेह ही है ईश्वर 

नेह राग सँग विराग, योग-भोग, कर्म
नेह कलम, शब्द-अक्षर, नेह ही है धर्म

नेह बिंदु, नेह सिंधु, नेह आदि-अंत
नेह शून्य, नेह सत्य, अनादि-अनंत 

नेह आशा-निराशा है, नेह है पुरुषार्थ 
नेह चाह, नेह राह, स्वार्थ संग परमार्थ 

नेह लेन, नेह देन, नेह गीत मीत 
नेह प्रीत, नेह दीप, दिवाली पुनीत 

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मंगलवार, 18 मई 2010

नवगीत: पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं --संजीव वर्मा 'सलिल'

 नवगीत:  पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं : संजीव वर्मा 'सलिल'

पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं,
निधि नहीं जाती सँभाली...
*
छोड़ निज जड़ बढ़ रही हैं.
नए मानक गढ़ रही हैं.
नहीं बरगद बन रही ये-
पतंगों सी चढ़ रही हैं.

चाह लेने की असीमित-
किंतु देने की कंगाली.
पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं,
निधि नहीं जाती सँभाली...
*
नेह-नाते हैं पराये.
स्वार्थ-सौदे नगद भाये.
फेंककर तुलसी घरों से-
कैक्टस शत-शत उगाये.

तानती हैं हर प्रथा पर
अरुचि की झट से दुनाली.
पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं,
निधि नहीं जाती सँभाली...
*
भूल देना-पावना क्या?
याद केवल चाहना क्या?
बहुत जल्दी 'सलिल' इनको-
नहीं मतलब भावना क्या?

जिस्म की कीमत बहुत है.
रूह की है फटेहाली.
पीढ़ियाँ अक्षम हुई हैं,
निधि नहीं जाती सँभाली...
*