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सोमवार, 30 अगस्त 2021

निमाड़ी दोहा सलिला

निमाड़ी दोहा सलिला
दोहे
*
सिंदूरी सुभ भोर छे, चटक दुपैरी धूप।
रंगीली संझा सरस, रातs सुहाणो रूप।।
*
खेती बाड़ी बावड़ी, अमरित पाणी सीच
ठुमके पर ओरावणी, नाच सयाणी मीच
*
सूनी गोद भरावणी, संजा चारइ पूज
बरसूद् या खs लावणी, हिवड़ा कहीं न दूज
*
दाणी मइया नरबदा, पाणी अमरित धार
धाणी गऊँ जुआर दs, माणी जीवन सार
*
घड़ी-घड़ी खम्माघणी, अमर प्यार के बोल
परिकम्मा कर पुन्न ले, चलाया टोल का टोल

*

रविवार, 30 अगस्त 2020

निमाड़ी दोहे

निमाड़ी सलिला
दोहे
*
सिंदूरी सुभ भोर छे, चटक दुफेरी धूप।
संझा सरस सुहावणी,रात रूपहलो रूप।।
*
खेती बाड़ी बावड़ी, अमरित पाणी सीच।
ठुमका प$ ओरावणी, नाच सयाणी मीच।।
*
सूनी गोद भरावणी, संजा चारइ पूज
बरसूद् या खs लावणी, हिवड़ा कहीं न दूज
*
दाणी मइया नरबदा, पाणी अमरित धार
माणी घऊँ जुआर दs, धाणी जीवन सार।।
*
सांस-सांस मं$ हर घड़ी,अमर प्यार का बोल
परकम्मा कर पुन्न लइ, चल्या टोळ का टोळ।।
*