दोहे
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दोष गैर का देख जब, ऊँगली उठती एक
तीन कहें निज दोष लख, बन जा मानव नेक
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जब करते निर्माण हम, तब लाते विध्वंस
पूर्व कृष्ण के जगत में, आ जाता है कंस
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दोष गैर का देख जब, ऊँगली उठती एक
तीन कहें निज दोष लख, बन जा मानव नेक
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जब करते निर्माण हम, तब लाते विध्वंस
पूर्व कृष्ण के जगत में, आ जाता है कंस
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