कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 25 जुलाई 2019

सवैया, मुक्तक

एक मुक्तक 
भावो- अभावों का है तालमेल दुनिया 
ममता मन में धार अकेले चल दे तू 
गैरों में भी तुझको मिल जाएँ अपने 
अपनापन सिंगार साजकर चल दे तू 
***

सवैया
*
नाक के बाल ने, नाक रगड़कर, नाक कटाने का काम किया है
नाकों चने चबवाए, घुसेड़ के नाक, न नाक का मान रखा है
नाक न ऊँची रखें अपनी, दम नाक में हो तो भी नाक दिखा लें 
नाक पे मक्खी न बैठन दें, है सवाल ये नाक का, नाक बचा लें
नाक के नीचे अघट न घटे, जो घटे तो जुड़े कुछ नाक बजा लें
नाक नकेल भी डाल सखे हो, न कटे जंजाल तो नाक चढ़ा लें
छंद का नाम और लक्षण बताइए.
***
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#हिंदी_ब्लॉगर

कोई टिप्पणी नहीं: