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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

मुक्तक मुक्तिका

एक प्रयोग-
मुक्तक मुक्तिका :
संजीव
*
न हास है, न रास है 
अनंत प्यास-त्रास है
जड़ें न हैं जमीन में
गगन में न उजास है
लक्ष्य क्यों उदास है?
थका-चुका प्रयास है.
कशिश न कोशिशें रुकें
हुलास ही हुलास है
न आम है, न ख़ास है
भविष्य तो कयास है
मालियों से पूछिए
सुवास तो सुवास है
२४-६-२०१५ 
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