मुक्तक
शुभप्रभात
*
जीत हार है भाग खेल का
शुभ प्रभात
है विराग अनुराग ज़िन्दगी
शुभ प्रभात
दीन बंधु बन करो बन्दगी
शुभ प्रभात
देश हरा रख बोलो हिन्दी
शुभ प्रभात
*
मुक्तक
कही सुनी हो माफ़ राम जी
बचा रहे इंसाफ़ राम जी
मिले मौत को मौत न क्यों अब?
हो न ज़िन्दगी भाप राम जी
*
शुभप्रभात
*
जीत हार है भाग खेल का
शुभ प्रभात
है विराग अनुराग ज़िन्दगी
शुभ प्रभात
दीन बंधु बन करो बन्दगी
शुभ प्रभात
देश हरा रख बोलो हिन्दी
शुभ प्रभात
*
मुक्तक
कही सुनी हो माफ़ राम जी
बचा रहे इंसाफ़ राम जी
मिले मौत को मौत न क्यों अब?
हो न ज़िन्दगी भाप राम जी
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें