इस्लाम में निकाह
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इस्लाम धर्म के धार्मिक और सांस्कृतिक नियमों के संदर्भ में समझा जा सकता है। इस्लाम में निकाह (शादी) के लिए कुछ स्पष्ट सीमाएं और नियम निर्धारित किए गए हैं। कुरान और हदीस के अनुसार, निकट संबंधियों (महिरम) के साथ शादी हराम (निषिद्ध) है। इसमें मां, बहन, बेटी, चाची, मामी, मौसी आदि शामिल हैं।
कारण:
1. कुरान का आदेश:
इस्लामिक धर्मग्रंथ कुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि निकट रिश्तेदारों से शादी करना हराम है।
उदाहरण: सूरह अन-निसा (4:23) में अल्लाह ने बताया है कि किन-किन रिश्तों के साथ शादी निषिद्ध है।
2. जैविक और सामाजिक कारण:
निकट संबंधियों के साथ विवाह से जैविक रूप से बच्चों में आनुवंशिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह परिवार की सामाजिक संरचना और नैतिक मूल्यों को कमजोर कर सकता है।
3. सामाजिक और नैतिकता:
इस्लाम एक समाज को नैतिक और व्यवस्थित रूप से चलाने पर जोर देता है। निकट रिश्तेदारों से शादी करने पर पारिवारिक रिश्ते बिगड़ सकते हैं और समाज में असंतोष उत्पन्न हो सकता है।
इस्लाम के अलावा भी, लगभग सभी धर्मों और सभ्यताओं में इस प्रकार के विवाह को अनुचित और अनैतिक माना गया है। इसका उद्देश्य परिवार और समाज की एकता और पवित्रता बनाए रखना है।
निष्कर्ष:
इस्लाम के अनुसार, मां, बहन और बेटी जैसे महिरम रिश्तों से शादी हराम और अनुचित है। इसे धार्मिक, नैतिक और जैविक कारणों से मना किया गया है।
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