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सोमवार, 22 जुलाई 2019

पीजा मान्साहार

पीजा मान्साहार है...
मोजरेला चीज़ Mozzarella व अन्य प्रकार के पनीर जिनसे पिज़्ज़ा या पीज़ा या अन्य विदेशी व्यंजन बनते हैं, शाकाहारी नहीं हैं।
पश्चिमी फैशन के मारे हुए हमारे भारतीय भाई बड़े शौक से पीज़ा खाते हैं क्योंकि पीज़ा पर शाकाहार की हरी मुहर लगी होती है।
लेकिन बेचारे नादान यह नहीं जानते कि ‘वेज़ पीज़ा’ नाम की कोई वस्तु इस संसार में है ही नहीं क्योंकि पीजा के ऊपर चिपचिपाहट के लिए जो पनीर (चीज़) बिछाई जाती है, उस पनीर (चीज़) में गाय के नवजात बछड़े के पेट का रस (रेनेट Rennet) मिला हुआ होता है।
Mozzarella di bufala is traditionally produced solely from the milk of the domestic Buffalo.
A whey starter is added from the previous batch that contains thermophilic bacteria, and the milk is left to ripen so the bacteria can multiply.
Then, rennet is added to coagulate the milk.
After coagulation, the curd is cut into large, 1″–2″ pieces, and left to sit so the curds firm up in a process known as healing.
रेनेट Rennet डाले बिना पिजा-चीज़ चिपचिपी नहीं बन सकती अर्थात् सभी पीज़ा मांसाहारी नॉन-वेज़ (गाय के मांस के रस से युक्त) होते हैं।
यदि पीजा घर में बनाया जाए तो शाकाहारी भी हो सकता है क्योंकि हम उस मांसाहारी पनीर (चीज़) की जगह पर घरेलू पनीर का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन शायद उसमें वो बात ना बने !
Rennet is a complex of enzymes produced in any mammalian stomach, and is often used in the production of cheese.
Rennet contains many enzymes, including a proteolytic enzyme (protease) that coagulates the milk, causing it to separate into solids (curds) and liquid (whey).
They are also very important in the stomach of young mammals as they digest their mothers’ milk.
The active enzyme in rennet is called chymosin or rennin (EC 3.4.23.4) but there are also other important enzymes in it, e.g., pepsin and lipase.
हार्ड-चीज़ के अलावा अन्य पनीर (चीज़) भी ज्यादातर गौमांस युक्त है।
भारत में शायद अभी संभव नहीं है लेकिन विदेशी बाज़ार में इटली की ‘मासकरपोने क्रीम-चीज़’ मिल जाती है जो केवल दुग्ध उत्पाद से बनी है पर यह मासकरपोने आम पनीर (चीज़) से 4-5 गुना मंहगी होती है।
कई सालों से ऐसी पनीर (चीज़) की तलाश की गई पर इसके अलावा दूसरी कोई पनीर (चीज़) नहीं मिली।
हर पनीर (चीज़) में जाने-अंजाने या वज़ह-बेवज़ह गौमांस है।
कुछ ऐसी पनीर (चीज़) कंपनी भी हैं जो गाय की आँतो के साथ-साथ गाय की हड्डी भी पनीर (चीज़) में डालती हैं।
गाय की हड्डी डालने से पनीर (चीज़) देखने में इकसार लगती है (पीज़े में डलने से पहले)।
उपभक्ता को मूर्ख बनाने के लिये पैकिंग के ऊपर गाय की हड्डी को लिखा जाता है।
वैसे यह रसायन ‘कैलसियम क्लोराईड’ या ‘E509′ प्राकृतिक रूप से भी प्राप्त किया जा सकता है या कारखाने में बनाया जा सकता है.
हार्ड-पनीर (चीज़) जैसी ही एक पनीर (चीज़) होती जिसे परमिजान कहते हैं, कुछ लोगों को भ्रम है कि परमिजान शाकाहारी है, लेकिन ऐसा नहीं है।
हाँ शायद एक-आध कंपनी हैं जो कि गाय की आँतों की बजाए बकरे की आँत परमिजान-चीज़ में डालती हैं लेकिन इसके अलावा और क्या-क्या है उस पनीर (चीज़) में, इस बारे में अभी कोई सन्तोषजनक जानकारी नहीं है।
बी.बी.सी. के रसोई वाली साइट पर परमिज़ान को शाकाहारी भाजन में शामिल किया गया है लेकिन दूसरी जगह उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि परमिजान चीज़ हमेशा शाकाहारी नहीं होता।
पनीर
हम जो पनीर बाज़ार से ख़रीद कर खाते हैं वो भी भरोसेमन्द नहीं है। क्योंकि दूध फाड़ कर पनीर बनाने का जो सबसे सफल रसायन है, जिसका इस्तेमाल अधिकांश पेशेवर लोग करते हैं। वो वास्तव में रसायन नहीं बल्कि गाय के नवजात शिशु का पाचन तन्त्र है।
अगर हम पनीर बनाने के लिए दूध में नीम्बू का रस, टाटरी या सिट्रिक एसिड डालते हैं तो दूध इतनी आसानी से नहीं फटता जितना कि उस अंजान रसायन से, फिर घरेलू पनीर में खटास भी होती है, बाज़ार के पनीर की तुलना में जल्दी खट्टा या ख़राब हो जाता है।
इस रसायन की यही पहचान है कि पनीर जल्दी ख़राब या खट्टा नही होता और हमारी सबसे बड़ी यह समस्या यह है कि किसी भी लेबोटरी टेस्ट से यह नहीं जाना जा सकता कि पनीर को बनाने के लिए गाय के शिशु की आँतों का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि गाय के शिशु की आँतें दूध के फटने पर पनीर से अलग हो कर पानी में चली जाती हैं।
इसका बहुत कम (नहीं के बराबर) अंश ही पनीर में बचता है।
यह पानी जो दूध फटने पर निकलता है इसे विदेशों में मट्ठा या छाज (whey) कह कर बेचते हैं।
शाकाहारी जन कृपा करके यह विदेशी मट्ठा कभी न ख़रीदें। इसलिए बाज़ारू पनीर (सभी प्रकार के पनीर) से भी सावधान रहें। दूध, क्रीम, मक्खन, दही तथा दही की तरह ही दूध से बने (खट्टे) उत्पादों के अतिरिक्त विदेशों में बिक रहे लगभग सभी अन्य दुग्ध-उत्पाद मांसाहारी हैं। ज्यादातर मरगारीन भी मांसाहारी ही है।

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