दोहा दुनिया :
शुभ प्रभात
*
रह प्रशांत रच छंद तो, शुभ प्रभात हो आप
गौरैया कलरव करे, नाद सके जग व्याप
*
खुली हवा में सांस ले, जी भर फिर दे छोड़
शुभ प्रभात कह गगन से, सुत सम नाता जोड़
*
पैर जमा जब धरा पर, कर करबद्ध प्रणाम
माता तेरी गोद में, आता पुत्र अनाम
*
अष्ट दिशाओं को नमन, कर कह 'रहना साथ
जितने दिन भी मैं जिऊँ, कभी न नत हो माथ'
*
अँजुरी भरकर सलिल से, चेहरे पर छिड़काव
कर- प्रभु का सुमिरन करो, मेटो ईश अभाव
*
सब छोटों को याद कर, मन से दो आशीष
जहाँ रहें सुख से रहें, हो संजीव मनीष
*
जड़-चेतन से पुलक कह, शत वंदन आभार
जीवन भर पा-दे सकूँ, वर दो साथी प्यार
*
संजीव
२७-७-२०१९
७९९९५५९६१८
शुभ प्रभात
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रह प्रशांत रच छंद तो, शुभ प्रभात हो आप
गौरैया कलरव करे, नाद सके जग व्याप
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खुली हवा में सांस ले, जी भर फिर दे छोड़
शुभ प्रभात कह गगन से, सुत सम नाता जोड़
*
पैर जमा जब धरा पर, कर करबद्ध प्रणाम
माता तेरी गोद में, आता पुत्र अनाम
*
अष्ट दिशाओं को नमन, कर कह 'रहना साथ
जितने दिन भी मैं जिऊँ, कभी न नत हो माथ'
*
अँजुरी भरकर सलिल से, चेहरे पर छिड़काव
कर- प्रभु का सुमिरन करो, मेटो ईश अभाव
*
सब छोटों को याद कर, मन से दो आशीष
जहाँ रहें सुख से रहें, हो संजीव मनीष
*
जड़-चेतन से पुलक कह, शत वंदन आभार
जीवन भर पा-दे सकूँ, वर दो साथी प्यार
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संजीव
२७-७-२०१९
७९९९५५९६१८
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