कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

दिक्पाल / मृदुगति छंद


छंद सलिला:
दिक्पाल / मृदुगति छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति १२-१२, चरणांत गुरु (यगण, मगण, रगण, सगण)
लक्षण छंद:
मृदुगति दिक्पाल चले / सूर्यदेव विहँस ढले
राशि-मास गति-यति बन / अवतारी संग भले
उदाहरण:
१. 'असुरों का अंत करें / आओ!' कहा रामने
धनुष उठा लखन चले / कौन आये सामने
तीर चले लक्ष भेद / अरि का हृदय थामने
दिल दहले रिपुदलके / सुकाम किया नामने
शौर्य-कथा नयी लिखी / 'जूझो' कहा शामने
'त्राहि माम, शरणागत' / बचा लिया प्रणाम ने
२. बैठ फूलपर तितली / रस पीती उड़ जाती
भँवरा गाता गाना / उसको धता बताती
नन्हें-मुन्ने बच्चों / के मन बेहद भाती
काँटों से बच रहती / कलियों सँग मुस्काती
३. भूतनाथ तप ऱत थे / दशकंधर देख मौन
भुजमें कितना बल है ? बता सके कहो कौन?
निज परिचय देता हूँ / सोचा कैलाश उठा
'अहंकार दूर करो' शिवा कहें शीश झुका
पद का अंगुष्ठ दबा / शिवजी ने मोद किया
आर्तनाद कर रावण / चीख उठा, कँपा जिया
१३.५.२०१४
*********

कोई टिप्पणी नहीं: