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रविवार, 21 जुलाई 2019

दोहा - सोरठा गीत पानी की प्राचीर



दोहा - सोरठा गीत
पानी की प्राचीर
*
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।
पीर, बाढ़ - सूखा जनित 
हर, कर दे बे-पीर।। 
*
रखें बावड़ी साफ़,
गहरा कर हर कूप को। 
उन्हें न करिये माफ़,
जो जल-स्रोत मिटा रहे।।
चेतें, प्रकृति का कहीं,
कहर न हो, चुक धीर।
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
* 
सकें मछलियाँ नाच, 
पोखर - ताल भरे रहें। 
प्रणय पत्रिका बाँच, 
दादुर कजरी गा सकें।।
मेघदूत हर गाँव को,
दे बारिश का नीर। 
आओ! मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
* 
पर्वत - खेत - पठार पर
हरियाली हो खूब। 
पवन बजाए ढोलकें,
हँसी - ख़ुशी में डूब।।
चीर अशिक्षा - वक्ष दे ,
जन शिक्षा का तीर।
आओ मिलकर बचाएँ,
पानी की प्राचीर।।
***
२०-७-२०१६ 
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