कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

जनक मुक्तक

जनक मुक्तक
मिल त्यौहार मनाइए 
गीत ख़ुशी के गाइए 
साफ़-सफाई सब जगह 
पहले आप कराइए 
*
प्रिया रात के माथ पर,
बेंदा जैसा चाँद धर.
कालदेवता झूमता-
थाम बाँह में चूमता।
*
गये मुकदमा लगाने
ऋद्धि-सिद्धि हरि कोर्ट में
माँगी फीस वकील ने
अकल आ गयी ठिकाने
*
नयन न नम कर नतमुखे!
देख न मुझको गिलाकर
जो मन चाहे, दिलाऊं-
समझा कटनी जेब है.
*
हुआ सम्मिलन दियों का
पर न हो सका दिलों का
तेल न निकला तिलों का
धुंआ धुंआ दिलजलों का
*
RAIPUR
DEEPAWALI 2014

कोई टिप्पणी नहीं: