सवैया मुक्तक :
चाँद का इन्तिजार करती रही, चाँदनी ने 'सलिल' गिला न किया.
तोड़ती है समाधि शिव की नहीं, शिवा ने मौन हो सहयोग दिया.
नर्मदा नेह की बहा शीतल, कंठ में शिव ने ज़हर धार लिया-
मान्यता इंद्र-भोग की न तनिक, लोक ने शिव को ईश मान लिया
salil.sanjiv@gmail.com
चाँद का इन्तिजार करती रही, चाँदनी ने 'सलिल' गिला न किया.
तोड़ती है समाधि शिव की नहीं, शिवा ने मौन हो सहयोग दिया.
नर्मदा नेह की बहा शीतल, कंठ में शिव ने ज़हर धार लिया-
मान्यता इंद्र-भोग की न तनिक, लोक ने शिव को ईश मान लिया
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