षट्पदिक कृष्ण-कथा
देवकी-वसुदेव सुत कारा-प्रगट, गोकुल गया
नंद-जसुदा लाल, माखन चोर, गिरिधर बन गया
रास-लीला, वेणु-वादन, कंस-वध, जा द्वारिका
रुक्मिणी हर, द्रौपदी का बन्धु-रक्षक बन गया
बिन लड़े, रण जीतने हित ज्ञान गीता का दिया
व्याध-शर का वार सह, प्रस्थान धरती से किया
***
(महाभागवतजातीय गीतिका छंद, यति ३-१०-१७-२४, पदांत लघु गुरु)
नंद-जसुदा लाल, माखन चोर, गिरिधर बन गया
रास-लीला, वेणु-वादन, कंस-वध, जा द्वारिका
रुक्मिणी हर, द्रौपदी का बन्धु-रक्षक बन गया
बिन लड़े, रण जीतने हित ज्ञान गीता का दिया
व्याध-शर का वार सह, प्रस्थान धरती से किया
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(महाभागवतजातीय गीतिका छंद, यति ३-१०-१७-२४, पदांत लघु गुरु)
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