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मंगलवार, 1 जून 2021

मुक्तक

मुक्तक
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न मन हो तो नमन मत करना कभी
नम न हो तो भाव मत वरना कभी
अभावों से निभाओ तो बात बने
स्वभावों को मौन मत करना कभी
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कभी दुआ तो कभी बद्दुआ से लड़ते हुए
जयी जवान सदा सरहदों पे बढ़ते हुए .
उठाये हाथ में पत्थर मिले वतनवाले
शहादतों पे चढ़ा पुष्प, चित्र मढ़ते हुए .
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चरण छुए आशीष मिल गया, किया प्रणाम खुश रहो बोले
नम न नयन थे, नमन न मन से किया, हँसे हो चुप बम भोले
गले मिल सकूँ हुआ न सहस, हाथ मिलाऊँ भी तो कैसे?
हलो-हलो का मिला न उत्तर, हाय-हाय सुन तनिक न डोले
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१-६-२०१६ 
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