कुल पेज दृश्य

रविवार, 13 जून 2021

त्रिपदिक गीत

जनकछंदी  गीत 

ब्यूटी पार्लर में गई
वृद्धा बाहर निकलकर
युवा रूपसी लग रही..
*
नश्वर है यह देह रे!
बता रहे जो भक्त को
रीझे भक्तिन-देह पे..
*
संत न करते परिश्रम
भोग लगाते रात-दिन
सर्वाधिक वे ही अधम..
*
गिद्ध भोज, बारात में
टूटो भूखें की तरह
अब न मान-मनुहार है..
*
पितृ-देहरी छिन गई 
विदा होटलों से हुईं
हाय! हमारी बेटियाँ..
*
करते कन्या-दान जो
पाते हैं वर-दान वे
दे दहेज़ वर-पिता को..
१३-६-२०१०
*

कोई टिप्पणी नहीं: