११-७-२०१८
विजय भारत भारती की, अनुपमा शोभा लखें
जन्म लें गोविन्द भी आ, संग कमला भी दिखें
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हो अशोक स्वदेश सारा, निशा सारा तम पिएँ
प्रगट सरला उषा सीमा, हम दधीच सदृश जिएँ
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बनें कंकर सभी शंकर, जीव हर संजीव हो
शरद पुष्पाए हमेशा, हरे मधुसूदन तिमिर
एकता का आचरण कर, छू सकें साफल्य हर
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जय जय करें इरोड की, भारत हो सुख धाम
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अटल करें संकल्प हम, बीना छेड़े राग
भारत भारत ही रहे, हर दिल में है आग
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श्रवण संस्कृति सनातन, पाती विजय हमेश
शोभा इसकी अनुपमा, निर्मल सलिल अशेष
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श्रीगोपाल सदय रहें, हर दिन विपुल विकास
हम दधीच वत कर सकें, निशा पूर्ण हो आस
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हो अशोक जनगण सकल, जन मत हो कैलाश
जीव सभी संजीव हों, साक्षी हो आकाश
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हर मन में विश्वास हो, तरुण अरुण है साथ
मधु दे कडुवाहट मिटा, गह हरीश का हाथ
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कौन किशोर नहीं यहाँ, सोहन ह्रदय उमंग
शशि प्रकाश दस दिश बिखर, जीते निश्चय जंग
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२३-६-२०२१
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