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मंगलवार, 22 जून 2021

घनश्याम छंद

छंद सलिला :
घनश्याम छंद
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संरचना १२१ १२१ २११ २११ २११ २ 
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भजो नित इष्ट , श्री घनश्याम सदा जग के 
हरें हर कष्ट , गोकुलनाथ सदा सब के 
नहीं छल-छद्म , का कुछ काम कहे छलिया  
करे वह प्रीत , हो मनमीत अरे! रसिया 
न माखन चोर , के बिन शांत रहे मइया 
सदा गउपाल , का जप नाम सुखी गुइया
लगा पग धूल , लूँ निज माथ तरूँ भव से 
उठा सुखधाम , कंठ लगा लें खुद झट से 
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