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मंगलवार, 29 जून 2021

बंगाल वैभव संजीव

बंगाल वैभव
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चित्र गुप्त साकार हो, विधि-हरि-हर रच सृष्टि। 
शारद-रमा-उमा सहित, करें कृपा की वृष्टि।।
रिद्धि-सिद्धि विघ्नेश आ, करें हमें मतिमान। 
वर दें भारत भूमि हो, सुख-समृद्धि की खान।।  
'भारत' की महिमा का वर्णन। करते युग-युग से मिल कवि जन।१।
देश सनातन वैभवशाली। 'गंगारिदयी' धरा शुभ आली।२।
'पाल-सेन' ने भोगी सत्ता। चार सदी तक रख गुणवत्ता।३।
तीन सदी थे मुस्लिम शासक। भोग विलास दमन के नायक।४।
प्लासी में अंग्रेज विजय पा। सके देश में पाँव थे जमा।५।
हा! दुर्दिन थे देश के, जनगण था उद्भ्रांत। 
भद्र बंग विद्वान थे, दीन-हीन अति क्लांत।। 
हिंदू-मुस्लिम किया विभाजन। शोषक बन करते थे शासन।६।
'संतानों' ने किया जागरण। क्रांति शंख ने किया भय हरण।७।
सदी आठवीं से रचनाएँ। साहित्यिक मिलती मन भाएँ।८।
'सिद्धाचार्य' पुरातन कवि थे। ताड़पत्र पर वे लिखते थे।९।
'रामायण कृतिवास' लोकप्रिय। 'चंडीदास' कीर्ति थिर अक्षय।१०।
मिल संस्कृति-साहित्य ने, जन मन को दी शक्ति। 
विपद काल में मनोबल, पाएँ कर प्रभु भक्ति।। 
'मालाधर' 'चैतन्य' चेतना। फैला हरते लोक वेदना।११।
काव्य कथा 'चंडी' व 'मनासा'। कवि 'जयदेव' नाम रवि जैसा।१२।
सन अट्ठारह सौ सत्तावन। जूझा था बंगाली जन जन।१३।
नाटक 'दीनबंधु मित्रा' का। 'नील दोर्पन' लोक व्यथा का।१४।
लोक जागरण का था माध्यम। अंग्रेजों को दिखता था यम।१५।
'ठाकुर देवेंद्रनाथ' ने, संस्था 'ब्रह्मसमाज'। 
गठित करी ले लक्ष्य यह, बदल सकें कुछ आज।। 
'राय राममोहन'  ने जमकर। सती प्रथा को दी थी टक्कर।१६।
'माइकेल मधुसूदन' कवि न्यारे। 'कवि नज़रूल' आँख के तारे।१७।
'वंदे मातरम' दे 'बंकिम' ने। पाई प्रतिष्ठा सब भारत से।१८।
'केशव सेन' व 'विद्यासागर'। शिशु शिक्षा विधवा विवाह कर।१९।
'चितरंजन' परिवर्तन लाए। रूढ़िवादियों से टकराए।२०। 
क्रांति ज्वाल थी जल रही, उबल रह था रक्त। 
डरते थे अंग्रेज भी, बेबस भीरु अशक्त।। 
'सूर्यसेन' और 'प्रीतिलता' से। डरते-थर्राते थे गोरे।२१।
'गुरु रवींद्र' ने नोबल पाया। 'गीतांजलि' ने मान दिलाया।२२।
'परमहंस श्री रामकृष्ण' ने। ईश्वर पाया सब धर्मों से।२३।
'उठो जाग कर मंज़िल पाओ'। अपनी किस्मत आप बनाओ।२४।
'स्वामी विवेकानंद' धर्म ध्वज। फहरा सके दूर पश्चिम तक।२५।  
दलित-दीन-सेवा करी, सह न सके पाखंड। 
जाति प्रथा को चुनौती, दी कह सत्य अखंड।।    
वैज्ञानिक 'सत्येन बोस' ने। कीर्ति कमाई 'बोसान कण' से।२६।
'बसु जगदीश' गज़ब के ज्ञानी। वैज्ञानिक महान वे दानी।२७।
'राय प्रफुल्ल चंद्र' रसायनी। 'नाइट्राइट' विद्या के धनी।२८। 
'मेघनाथ साहा' विशिष्ट थे। जगजाहिर एस्ट्रोफिसिस्ट थे।२९। 
'दत्त रमेश चंद्र' ऋग्वेदी। अर्थशास्त्री विख्यात अरु गुणी।३०। 
प्रतिभाओं से दीप्त था,  भारत का आकाश। 
समय निकट था तोड़ दे, पराधीनता पाश।।  
'रास बिहारी' क्रांतिवीर थे। 'बाघा जतिन' प्रचंड धीर थे।३१।
जला 'लाहिड़ी' ने मशाल दी। गोरी सत्ता थर्राई थी।३२। 
क्रांतिवीर 'अरविन्द-कनाई' । 'बारीलाल' ने धूम मचाई।३३।'
'श्री अरविन्द घोष' थे त्यागी। क्रांति और दर्शन अनुरागी।३४।  
'वीर सुभाष' अमर बलिदानी। रिपु को याद कराई नानी।३५।
अपनी आप मिसाल थे, जलती हुई मशाल।  
नारा दे 'जय हिंद' हैं, अमर साक्षी देश के लाल।। 
'शरतचंद्र' ने पाखंडों पे। किया प्रहार उपन्यासों में।३६। 
'ताराशंकर' 'बिमल मित्र' ने। उपन्यास अनुपम हैं रचे।३७।  
'नंदलाल-अवनींद्र-जैमिनी'। चित्रकार त्रय अनुपम गुनी।३८।   
बंग कोकिला थीं 'सरोजिनी'। 'राय बिधानचंद्र' अति धुनी।३९।
'रॉय बिमल' अरु 'सत्यजीत' ने। नाम कमाया फिल्म जगत में।४०। 
प्रतिभाओं की खान है, बंगभूमि लें मान। 
जो चाहें वह कर सकें, यदि लें मन में ठान।।  
दुर्गा पूजा दिवाली, बंगाली त्यौहार।
रथयात्रा रंगोत्सव, दस दिश रहे बहार।।
षष्ठी तिथि 'बोधन' आमंत्रण। प्राण प्रतिष्ठा भव्य सुतंत्रण।४१। 
भोर-साँझ पूजन फिर बलि हो। 'कोलाकुली' गले मिल खुश हो। ४२। 
'नीलकंठ' दर्शन शुभ जानो। सेंदुर ले-दे 'खेला' ठानो।४३।  
'हरसिंगार' 'कौड़िल्ला' 'छितवन'। 'रोसोगुल्ला' हरता सबका मन।४४। 
'सिक्किम' 'असम' 'बिहार' 'उड़ीसा'। 'झारखण्ड' संगी-साथी सा।४५।  
बांग्लादेश पड़ोस में, है सद्भाव विशेष। 
थे अतीत में एक ही, पाले स्नेह अशेष।। 
'घुग्गी' 'चाट' 'झलमुरी' खाएँ। 'हिलसा मछली' भुला न पाएँ।४६।
घाट बैठ लें चाय चुस्कियाँ। सूर्य डूबता देख झलकियाँ।४७। 
खाड़ी तट पर 'दीघा' जाएँ। 'लतागुड़ी' घूमें हर्षाएँ।४८।   
बसा सिलिगुड़ी, तीर 'टोरसा'। 'जलदापारा' पार्क रम्य सा।४९। 
'सुंदरबन' 'बंगाल टाइगर'। 'दार्जिलिंग' है खूब नामवर।५०। 
'कालिपोंग' मठ-चर्च की, शोभा भव्य अनूप। 
'कुर्सिआंग' 'आर्किड्स' का, देखें रूप अरूप।।
'कामाख्या' मंदिर अतिपावन। 'गंगासागर' छवि मनभावन।५१। 
'शांतिनिकेतन' 'विश्व भारती'। 'सेतु हावड़ा' 'गंग तारती'।५२।  
'गोरूमारा' 'बल्लभपुर' वन। 'बक्सा' घूम हुलस जाए मन।५३। 
'कूचबिहार', 'हल्दिया', 'माल्दा'। 'तारापीठ' 'सैंडकफू' भी जा।५४। 
'माछी-भात', 'पंटूआ', 'चमचम'। 'भज्जा', 'झोल' 'पिथा' खा तज गम। ५५। 
'छेना लड्डू' खाइए, फिर छककर 'संदेश'। 
'रसमलाई' से पाइए, प्रिय! आनंद अशेष।। 
बंगाली हैं भद्रजन, शांत शिष्ट गुणवान। 
देशभक्ति है खून में, जां से प्यारी आन।। 
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