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सोमवार, 14 जून 2021

मैं भारत हूँ

मैं भारत हूँ
सुमन पुष्पा भी न था, तूफान आया
विनत था हो प्रबल सँग सैलाब लाया
बिजलियाँ दिल पर गिरीं, संसार उजड़े
बेरहम कह सफलता फिर मुस्कुराया
सोचता है जीत मुझको वह लिखेगा
फिर नया इतिहास देवों सम दिखेगा
सदा दानव चाहते हैं अमर होना
मिले सत्ता तो उसे चाहें न खोना
सोच यह लिखती पतन की पटकथा है
चतुर्दिक जातीं बिखर बेबस व्यथा है
मैं भारत हूँ, देखता जन जागता है
देश को ही इष्ट अपना मानता है
आह हो एकत्र, बनती आग सूरज
शिखर होते धूसरित, झट रौंदती रज
मैं भारत हूँ, भाग्य अपना आप लिखता
मैं भारत हूँ, जगत् गुरु फिर श्रेष्ठ दिखता
काल जन को टेरता है जाग जाओ
करो फिर बदलाव भारत को बचाओ
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