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बुधवार, 16 जून 2021

कार्यशाला, द्विपदी, दोहा

द्विपदी
मिला था ईद पे उससे गले हुलसकर मैं
किसे खबर थी वो पल में हलाल कर देगा.
*
दोहा
ला दे दे, रम जान तू, चला गया रमजान
सूख रहा है हलक अब होने दे रस-खान
*.
कार्यशाला:
ये मेरी तिश्नगी, लेकर कहाँ चली आई?
यहाँ तो दूर तक सहरा दिखाई देता है.
- डॉ.अम्बर प्रियदर्शी
चला था तोड़ के बंधन मिलेगी आजादी
यहाँ तो सरहदी पहरा दिखाई देता है.
-संजीव वर्मा 'सलिल'
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तिश्नगी का न पूछिए आलम
मैं जहाँ हूँ, वहाँ समंदर है.
- अम्बर प्रियदर्शी
राह बारिश की रहे देखते सूने नैना
क्या पता था कि गया रीत सारा अम्बर है.
-संजीव वर्मा 'सलिल'

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