स्मृति गीत:
*
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
जान रहे हम अब न मिलेंगे. यादों में आ, गले लगेंगे.
आँख खुलेगी तो उदास हो-हम अपने ही हाथ मलेंगे.
पर मिथ्या सपने भाते हैं.हर दिन पिता याद आते हैं...
*
लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.कर न सकूँ इनकी पैमाइश.
लेपहचान गैर-अपनों को-कर न दर्द की कभी नुमाइश.
अबन गोद में बिठलाते हैं.हर दिन पिता याद आते हैं...
*
अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.नित घर-घाट दिखाए तुमने.
जब-जब मन कोशिश कर हारा-फल साफल्य चखाए तुमने.
पग थमते, कर जुड़ जाते हैं हर दिन पिता याद आते हैं...
२०-६-२०१०
****
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
रविवार, 20 जून 2021
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें