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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

कार्य शाला - कुण्डलिया

कुण्डलिया
कार्य शाला
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कुंडलिया
वादे कर जो भुला दे, वह खोता विश्वास.
ऐसे नेता से नहीं, जनता को कुछ आस.
जनता को कुछ आस, स्वार्थ ही वह साधेगा.
भूल देश-हित दल का हित ही आराधेगा.
सलिल कहे क्यों दल-हित को जनता पर लादे.
वह खोता विश्वास भला दे जो कर वादे
१९-१२-२०१७
तन की मनहर बाँसुरी, मन का मधुरिम राग।
नैनों से मुखरित हुआ, प्रियतम का अनुराग।। -मिथिलेश बड़गैयाँ
प्रियतम का अनुराग, सलिल सम प्रवहित होता।
श्वास-श्वास में प्रवह, सतत नव आशा बोता।।
जान रहे मिथिलेश, चाह सिय-रघुवर-मन की।
तज सिंहासन राह, गहेंगे हँसकर वन की।। - संजीव
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११.१२.२०१८

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