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साथ थे तन न मन 'सलिल' पल भर
शेष शैया पे करवटें कितनी
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संग थे तुम नहीं रहे पल भर
हैं मगर मन में चाहतें कितनी
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५-१२-२०१६
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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