मुक्तिका
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जो है अपना, वही पराया है? १८
ठेंगा सबने हमें बताया है १८
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वक्त पर याद किया शिद्दत से १७
बाद में झट हमें भुलाया है
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पाक दामन जो कह रहा खुदको
पंक में वह मिला नहाया है
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जोड़ लीं दौलतें ज़माने ने
अंत में संग कुछ न पाया है
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श्वास चलती रहे संजीव तभी
पाठ सच ने यही पढ़ाया है
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१०-१२-२०१६
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