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गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मुक्तिका

मुक्तिका
*
जो है अपना, वही पराया है? १८  
ठेंगा सबने हमें बताया है     १८ 
*
वक्त पर याद किया शिद्दत से १७ 
बाद में झट हमें भुलाया है
*
पाक दामन जो कह रहा खुदको 
पंक में वह मिला नहाया है
*
जोड़ लीं दौलतें ज़माने ने
अंत में संग कुछ न पाया है
*
श्वास चलती रहे संजीव तभी 
पाठ सच ने यही पढ़ाया है
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१०-१२-२०१६

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