मेधावी छात्र
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बात उस समय की है जब हमारे संविधान के निर्माता,देश के अग्रणी स्वतन्त्रता संग्राम सैनानी, भारतीय प्रजातन्त्र के प्रथम राष्ट्रपति, कायस्थ कुल दिवाकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी अपने शिक्षा काल में बी.ए. के विद्यार्थी थे। प्रातःकाल दैनिक कार्यों से निपट ही रहे थे कि अचानक ध्यान आया कि आज तो उनकी परीक्षा का अंग्रेजी का दूसरा पर्चा है। तत्काल भागते-दौडते कॉलेज पहुँचे लेकिन तब तक परीक्षा समाप्त होने में मात्र एक घंटे का समय शेष था। प्रिंसिपल साहब से निवेदन किया तो उन्होंने यह सोचकर कि वे एक मेधावी छात्र हैं इस शर्त पर अनुमति दे दी कि प्रश्नपत्र हल करने के लिये कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जायेगा। राजेन्द्र प्रस़ाद जी ने ग्रामर तथा ट्रान्सलेशन आदि तो तुरन्त हल कर दिया किन्तु एस्से (निबंध) के लिये बहुत कम समय बचा। निबंध लिखना था ताजमहल पर। बी.ए. के स्तर का निबंध कमसे कम़ ५-६ पेज का ही होना चाहिये था पर इतना समय तो अब शेष था ही नहीं। उन्होंने मात्र एक वाक्य लिखा....
"Taj is the frozen mosque of royal tears".
परीक्षक ने उनके इस निबंध की बहुत सराहना की और उसे सर्वश्रेष्ठ निरूपित किया। पटना के संग्रहालय में यह उत्तर पुस्तिका आज भी सुरक्षित है।
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