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सोमवार, 7 दिसंबर 2020

दोहा सलिला शिव

दोहा सलिला 
शिव 
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शिव नरेश देवेश भी, हैं उमेश दनुजेश.
गिरिजापति गिरिजेश हो, घर-घर पुजे हमेश.
शिव शव को जीवंत कर, कर सकते चैतन्य 
कंकर में शंकर बसें, हैं त्रिपुरारि अनन्य 
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शिव न शिवा बिन पूर्ण हों, शिवा न शिव बिन पूर्ण 
सत्-शिव-सुन्दर बिन मनुज रहता 'सलिल' अपूर्ण 
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अमृत शशि विष नाग हैं, अलंकार शिव साथ 
जन्म-मृत्यु के देवता, शिव अनाथ के नाथ 
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काम-क्रोध-भवमोह ही, शिव के साथ त्रिशूल 
शिव परवश होते नहीं, वश में है हर शूल 
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अचल-अटल श्रद्धा शिवा, शिव अनंत विश्वास 
श्वास-श्वास हों साथ तो, दें अधरों को हास 
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पशुपति सुरपति नरपति, महाकाल नागेश
नंदीश्वर कामारि शिव, सलिलेश्वर दुर्गेश 
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