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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

मुक्तक छंद- हरिगीतिका

मुक्तक
छंद- हरिगीतिका 
संजीव 
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सम वेदना की सघनता वरदान है, अभिशाप भी.
अनुभूति की अभिव्यक्ति है, चीत्कार भी, आलाप भी.
निष्काम हो या कामकारित, कर्म केवल कर्म है-
पुण्य होता आज जो, होता वही कल पाप है.
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४-१२-२०१७ 

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