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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

बृज मुक्तिका

बृज मुक्तिका 
संजीव 
*
जी भरिकै जुमलेबाजी कर 
नेता बनि कै लफ्फाजी कर 
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दूध-मलाई गटक; सटक लै 
मुट्ठी में मुल्ला-काजी कर 
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जनता कूँ आपस में लड़वा 
टी वी पै भाषणबाजी कर 
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अंडा शाकाहारी बतला 
मुर्ग-मुसल्लम को भाजी कर 
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सौ चूहे खा हज करने जा 
जो शरीफ उसको पाजी कर 
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२-१२-२०२० 




तुम तौ खाओ दूध - मलाई जी भरिकै
हमकों खाय रई महँगाई जी भरिकै
कल कूँ सिगरे सिंथेटिक ही पीओगे  
गैया काटें रोज कसाई जी भरिकै
नेता - अफसर लूटि रए हैं जनता कूँ
चोर-चोर मौसेरे भाई, जी भरिकै
होय न सत्यानास जब तलक भारत कौ
हिन्दू-मुस्लिम करौ लड़ाई जी भरिकै
जे छिछोरगर्दी तुमकूँ लै ही डूबी
चौराहे पै भई पिटाई जी भरिकै
वो आरक्षन पायकेँ अफसर बनि बैठे
'अंजुम' तुमनें करी पढ़ाई जी भरिकै

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