कुण्डलिया
प्रश्नोत्तर
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लिखते-पढ़ते थक गया, बैठ गया हो मौन।
पूछ रहा चलभाष से, बोलो मैं हूँ कौन?
बोलो मैं हूँ कौन, मिला तब मुझको उत्तर
पाए खुद को जान, न क्यों अब तक घनचक्कर?
तुम तुम हो; तुम नहीं, अन्य खुद जैसे दिखते
मन भटकाए बिना, न क्यों तुम कविता लिखते।
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२९-११-२०१५
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