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सोमवार, 7 सितंबर 2020

मालवी हाइकु ललिता रावल

मालवी हाइकु
ललिता रावल
*
बिलपत्तर
ठूँठ सावन माय
भोला रिझाय
*
इंद्रधनुष
छटा बिखेरीरियो
अकास माय
*
पँखेरू उड्या
बसेरा पे लौटीर्या
अकास गूंज्यो
*
पूरबी हवा
पच्छम आड़ी लइ
हिलोर लइ
*
रमा-झमा से
सावन सेरो लायो
भादो ग़ैरायो
*
लीलो आकास
सफेद हुइ गया
बूड़ो हुइ ग्यो
*
जेठ को घाम
तपावे आखो गाम
असाड़ पाछे
***
  

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